नई दिल्ली
जैसे-जैसे भारत अपनी डिजिटल रूपांतरण यात्रा को तेज कर रहा है, PwC की एक नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि क्वांटम कंप्यूटिंग देश की साइबरसुरक्षा के लिए आने वाले समय का सबसे गंभीर खतरा बन सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्वांटम-रोधी सुरक्षा की ओर बढ़ना अब वैकल्पिक नहीं बल्कि संवेदनशील डेटा संभालने वाले संगठनों के लिए रणनीतिक आवश्यकता बन गया है।
PwC ने कहा, “जैसे ही भारत डिजिटल परिवर्तन में तेजी ला रहा है, क्वांटम कंप्यूटिंग केवल तकनीकी चमत्कार नहीं बल्कि एक उभरता साइबरसुरक्षा मोर्चा बनकर सामने आ रहा है… भविष्य की साइबरसुरक्षा उन संगठनों द्वारा तय होगी जो आज से ही क्वांटम यथार्थ के लिए तैयारी कर रहे हैं।”
रिपोर्ट में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, क्लाउड अपनाने और AI-आधारित सिस्टम्स की तेजी से बढ़ती भूमिका को देखते हुए डेटा संप्रभुता और साइबर लचीलापन को राष्ट्रीय प्राथमिकता बताया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनियों को अब केवल जागरूक रहने से आगे बढ़कर पोस्ट-क्वांटम दुनिया के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इसके लिए सुझाव दिए गए हैं:
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पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी को बोर्ड लेवल एजेंडा बनाना
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क्वांटम जोखिमों पर आंतरिक विशेषज्ञता तैयार करना
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सिस्टम को धीरे-धीरे अपडेट करने के लिए मल्टी-ईयर रोडमैप तैयार करना
हालांकि क्वांटम जोखिमों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया कि 40% भारतीय संगठन अभी तक कोई क्वांटम-रोधी सुरक्षा उपाय लागू नहीं कर पाए हैं, और केवल 5% सुरक्षा प्रमुख अगले वित्तीय वर्ष में क्वांटम तैयारी को अपने शीर्ष तीन बजट प्राथमिकताओं में शामिल कर रहे हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) भारत की साइबरसुरक्षा प्राथमिकताओं को बदल रही है।
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AI अब भारतीय संगठनों में निवेश का शीर्ष क्षेत्र बन गया है, खासकर कौशल और प्रतिभा अंतर को पूरा करने के लिए।
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संगठन अब एनालिटिकल AI से एजेंटिक AI की ओर बढ़ रहे हैं – यानी स्वायत्त, लक्ष्य-केंद्रित सिस्टम जो सीमित मानव हस्तक्षेप के साथ काम कर सकते हैं।
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एजेंटिक AI का उपयोग क्लाउड सुरक्षा, डेटा सुरक्षा, साइबर डिफेंस और सुरक्षा संचालन में बढ़ाया जा रहा है, जिससे प्रतिक्रिया समय कम होगा और संगठन लचीलेपन को बेहतर ढंग से लागू कर पाएंगे।
हालांकि, DevSecOps और Identity Access Management (IAM) जैसे उच्च-जोखिम क्षेत्रों में संगठन अभी भी हिचक रहे हैं, क्योंकि इसमें स्वचालित पैचिंग और एक्सेस प्रोविजनिंग में त्रुटियां गंभीर सुरक्षा समस्याओं या सिस्टम डाउनटाइम का कारण बन सकती हैं।
रिपोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि DPDP एक्ट के लागू होने से भारत में डेटा गवर्नेंस और डेटा हाइजीन में तेजी आएगी। कंपनियां डेटा मिनिमाइजेशन, सटीकता और जिम्मेदार AI प्रथाओं में अधिक निवेश करेंगी।
सिफारिशें:
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AI-ड्रिवन थ्रेट डिटेक्शन को प्राथमिकता दें
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एजेंटिक AI अपनाने की गति तेज करें
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जिम्मेदार AI सिद्धांतों को अपनाएं
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एंटरप्राइज स्तर पर डेटा गवर्नेंस मजबूत करें
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AI-नेटिव साइबरसुरक्षा प्रतिभा तैयार करें
इन उपायों से ही संगठन उभरते साइबर खतरों से आगे रह सकते हैं।






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