नई दिल्ली:
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री किरती वर्धन सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और उत्तर भारत के कई हिस्सों में धान की पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार बहु-स्तरीय उपाय लागू कर रही है।
मंत्री ने कहा कि NCR में प्रदूषण कई स्रोतों से आता है—वाहनों से उत्सर्जन, उद्योगों से निकलने वाला धुआँ, निर्माण सम्बन्धी धूल, बायोमास जलाना, नगर निकायों का कचरा जलाना और पराली जलाना। इनमें पराली जलाना एक एपिसोडिक योगदानकर्ता है, जिसे नियंत्रित करने के लिए सरकार वर्ष 2018-19 से फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) योजना चला रही है।
इस योजना के तहत किसानों को अवशेष प्रबंधन मशीनें खरीदने के लिए 50% सब्सिडी दी जाती है, जबकि ग्रामीण उद्यमियों, सहकारी समितियों, SHG, FPO और पंचायतों को कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) स्थापित करने के लिए 80% वित्तीय सहायता मिलती है। धान सप्लाई चेन परियोजनाओं में उपयोग होने वाली मशीनरी पर 65% तक सहायता उपलब्ध है।
2018-19 से 2025-26 के दौरान केंद्र सरकार पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली सहित राज्यों को CRM कार्यक्रमों के लिए 4,090.84 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। अब तक 3.45 लाख से अधिक मशीनें किसानों को दी गई हैं और 43,270 से अधिक CHC स्थापित हो चुके हैं।
CPCB पेलेट और टोरिफैक्शन प्लांट लगाने के लिए एकमुश्त सहायता दे रहा है, जबकि ऊर्जा मंत्रालय ने कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों में बायोमास को-फायरिंग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू किया है। नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय वेस्ट-टू-एनर्जी परियोजनाओं को वित्तीय सहायता दे रहा है और पेट्रोलियम मंत्रालय ‘प्रधानमंत्री जी-वैन योजना’ के तहत उन्नत बायोफ्यूल परियोजनाओं को प्रोत्साहन दे रहा है।
CAQM ने राज्यों को छोटे और सीमांत किसानों को नि:शुल्क CRM मशीनें उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। पंजाब और हरियाणा के समन्वित प्रयासों से 2025 के धान कटाई सीजन में 2022 की तुलना में 90% तक पराली जलाने की घटनाएँ घटी हैं।
मंत्री ने कहा कि इन पहलों से न सिर्फ प्रदूषण घटता है बल्कि किसानों को आय के नए स्रोत मिलते हैं, स्थानीय रोजगार बढ़ता है और बायोमास उपयोग से ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होती है।