गौस सिवानी
कोलकाता विश्वविद्यालय भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है। इसकी स्थापना 24जनवरी 1857को हुई थी। यह वही वर्ष था जब भारतीयों ने स्वतंत्रता की पहली लड़ाई शुरू की थी। यह विश्वविद्यालय भारतीय उपमहाद्वीप में उच्च शिक्षा के विस्तार का एक प्रमुख केंद्र बना। विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य आधुनिक शिक्षा को भारत में फैलाना और छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शिक्षा प्रदान करना था।

अंग्रेजों ने की थी शुरुआत
कोलकाता विश्वविद्यालय का आरंभ ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ और इसका मॉडल लंदन विश्वविद्यालय पर आधारित था। शुरू में यह विश्वविद्यालय केवल परीक्षा लेने वाली संस्था थी और विभिन्न कॉलेज इससे संबद्ध थे। समय के साथ यह एक पूर्ण शिक्षण और अनुसंधान संस्थान बन गया। विश्वविद्यालय को कई सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें “फाइव स्टार यूनिवर्सिटी” और सेंटर विद पोटेंशियल फॉर एक्सीलेंस शामिल हैं।
विश्वविद्यालय ने कई महान व्यक्तित्वों को जन्म दिया, जो अपनी प्रतिभा के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए। रवींद्रनाथ टैगोर, सी.वी. रमन, सत्यजीत रे, अमर्त्य सेन और डॉक्टर बी.सी. राय उनमें प्रमुख हैं।

विषय और पाठ्यक्रम
शैक्षणिक दृष्टि से कोलकाता विश्वविद्यालय छात्रों को बहुत व्यापक अवसर प्रदान करता है। यहाँ बी.ए., बी.एस-सी., बी.कॉम और बी.बी.ए. जैसे स्नातक कार्यक्रम उपलब्ध हैं, जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर एम.ए., एम.एस-सी., एम.कॉम और एम.बी.ए. के पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं। विश्वविद्यालय में कानून, इंजीनियरिंग, बिजनेस, कला, पत्रकारिता और बायोटेक्नोलॉजी जैसे विषयों में भी शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा शोध स्तर पर एम.फिल और पीएचडी के कार्यक्रम भी उपलब्ध हैं, जहाँ छात्र विभिन्न विषयों पर शोध कर सकते हैं। इस विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग भी विशेष महत्व रखता है और शुरुआती दिनों से सक्रिय है।

कई कैंपस
कोलकाता विश्वविद्यालय के कई कैंपस हैं, जिनमें मुख्य कॉलेज कैंपस शामिल है, जो कॉलेज स्ट्रीट में स्थित है और अंग्रेजी शासनकाल की शानदार इमारतों पर आधारित है। इसके अलावा राजाबाजार साइंस कॉलेज कैंपस, बालीगंज साइंस कॉलेज कैंपस, अलीपुर कैंपस, बी.टी. रोड कैंपस, हाजरा रोड लॉ कॉलेज कैंपस, टेक्नोलॉजी कैंपस, साल्ट लेक तथा अन्य कैंपस भी मौजूद हैं। विश्वविद्यालय का विस्तार आज भी जारी है।

ज्ञान का उज्ज्वल स्तंभ
विश्वविद्यालय में विज्ञान, साहित्य और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रों में अनेक शोध परियोजनाएँ चल रही हैं, और इसके कई विभागों को सरकार द्वारा विशेष शोध केंद्र का दर्जा प्राप्त है।समग्र रूप से कोलकाता विश्वविद्यालय न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में एक बड़ा शैक्षणिक संस्थान है। अपनी 150 वर्ष के इतिहास में इसने शिक्षा, शोध और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भी यह विश्वविद्यालय छात्रों के लिए ज्ञान का एक उज्ज्वल स्तंभ है।
लेखक आवाज द वाॅयस उर्दू से जुड़े हैं, इसपर वीडियो रिपोर्ट देखने के लिए यहां क्लिक करें :-