कोलंबो:
चक्रवात दित्वाह से भारी तबाही झेल रहे श्रीलंका में भारत ने ऑपरेशन सागर बंधु के तहत अपनी मानवीय सहायता तेज़ कर दी है। चक्रवात के कारण अब तक 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और कई ज़िले गंभीर रूप से प्रभावित हैं।
भारत राहत, बचाव और चिकित्सा सहायता के साथ-साथ अब सड़क संपर्क बहाल करने के प्रयास भी कर रहा है। गुरुवार को भारतीय वायुसेना का एक और C-17 ग्लोबमास्टर विमान कोलंबो पहुँचा, जिसमें बेले ब्रिज (Bailey Bridge) यूनिट्स और 25 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम—इंजीनियरों और मेडिकल विशेषज्ञों सहित—मौजूद थी। यह जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने X पर साझा की।
यह लगातार दूसरा C-17 विमान है जो बेले ब्रिज सामग्री लेकर श्रीलंका पहुँचा है। भारत के फ़ील्ड इंजीनियर जो बुधवार रात पहुँचे थे, उन्होंने तुरंत क्षतिग्रस्त मार्गों का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है और अब सड़क संपर्क को बहाल करने के कार्य में जुट गए हैं।
श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने बताया,“बेले ब्रिज यूनिट्स के साथ पहुँचे भारतीय इंजीनियर साइट पर पहुँच चुके हैं और महत्वपूर्ण मार्गों की मरम्मत का काम तेज़ी से शुरू कर दिया गया है, ताकि प्रभावित इलाक़ों तक पहुँच फिर से सुचारु हो सके।”
इस बीच, भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने कोटमाले क्षेत्र के आसपास लगातार बचाव अभियान जारी रखा और ज़रूरतमंदों तक समय पर सहायता पहुँचाई।
चक्रवात दित्वाह की भयावह तबाही
28 नवंबर को श्रीलंका के तट से टकराए चक्रवात दित्वाह ने—
भीषण बाढ़
भारी वर्षा
भूस्खलन
और व्यापक विनाश
एक साथ कई ज़िलों में फैलाया। हज़ारों लोग बेघर हो गए और कई क्षेत्रों में सड़कें, पुल और बुनियादी ढांचा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।
भारत ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए भोजन, दवाइयाँ, बचाव दल, हेलीकॉप्टर सहायता और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति शुरू की।
नई दिल्ली में श्रीलंका की उच्चायुक्त माहिशिनी कोलोन ने बताया,“400 से अधिक लोगों की जान गई है। राहत और बचाव अभियान जारी है। हम भारत के आभारी हैं—क्योंकि हमेशा की तरह भारत इस बार भी सबसे पहले मदद के लिए पहुँचा।”
उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने पहले भी—
सुनामी
आर्थिक संकट
और अब इस चक्रवात
—हर कठिन समय में श्रीलंका की मदद की है।
पड़ोस पहले: भारत की नीति फिर हुई मज़बूत
भारत द्वारा तेजी से भेजी जा रही सहायता उसके Neighbourhood First सिद्धांत और महासागर (MAHASAGAR) दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसके तहत भारत अपने समुद्री और पड़ोसी देशों को संकट के हर समय सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।