एएमयू के लिए 9 सितंबर क्यों है बेहद खास

Story by  रेशमा | Published by  [email protected] | Date 10-09-2021
एएमयू के लिए 9 सितंबर है बेहद खास
एएमयू के लिए 9 सितंबर है बेहद खास

 

रेशमा बानो/ अलीगढ़

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास में 9 सितंबर की तारीख बेद खास है. 101साल पहले 9सितंबर, 1920 को मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बनाने के लिए महत्पपूर्ण फैसले लिए गए थे. इस दिन एक बिल इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में पारित किया गया था.

स्कूल के संस्थापक सर सैयद अहमद खान ने 1875में छह बच्चों के साथ मदरसा-उल-उलूम के तौर पर स्कूल स्थापित किया था. मगर उनके द्वारा बोया गया बीज 101साल बाद आज घने वृक्ष में बदल चुका है. इसीलिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास में आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक माना जाता है.

आज एएमयू में कुल मिलाकर 30,000छात्र और इंप्लाई पढ़ने-पढ़ाने के काम में जुटे हैं.सर सैयद अकादमी के उप निदेशक डॉ मुहम्मद शाहिद आज के दिन के महत्व और इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं, 26 जुलाई 1915 को मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी.

मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना के तौर-तरीकों और स्रोतों को स्पष्ट करने की खातिर लगभग दो सौ सदस्य प्रबंधन में शामिल किए गए थे, जिनमें चर्चित नाम शेख मुहम्मद अब्दुल्ला, सदर यार जंग, डॉ एमए अंसारी, हकीम अजमल खान, मौलाना आदि है.

हजरत मोहानी आदि ने एएमयू के मसौदा को मंजूरी दी थी. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मसौदे को एशियाई प्रतिनिधिमंडल के सदस्य सर मुहम्मद शफी ने अंतिम रूप दिया था. मसौदे को जुलाई में राज्य सचिव द्वारा अनुमोदित और भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया था.

 

27अगस्त 1920को विधेयक परिषद के समक्ष प्रस्तुत करने और शिक्षा आंदोलन शुरू करने पर सर सैयद अहमद खान ने एक ऐतिहासिक तकरीर दी थी. 9सितंबर, 1920को इसपर विधान परिषद में चर्चा हुई, जिसमें सर मुहम्मद शफी, खान बहादुर इब्राहिम, हारून जाफर, चैधरी इस्माइल खान और सैयद मुहम्मद अली (सचिव एमएओ कॉलेज) आदि शामिल हुए. इसके बाद एएमयू विधेयक पारित कर दिया गया.