संभल (उत्तर प्रदेश)
संभल जिले की अदालत ने एक कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पूर्व थाना प्रभारी समेत 12 पुलिसकर्मियों और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोप है कि एक व्यक्ति को डकैती के मामले में गिरफ्तार दिखाया गया, जबकि वह घटना के समय जेल में बंद था।
मामला ओमवीर नामक व्यक्ति से जुड़ा है। ओमवीर के अधिवक्ता सुकांत कुमार ने बताया कि 25 अप्रैल 2022 को बहजोई थाना क्षेत्र में एक लाख रुपये की लूट हुई थी। उसी दिन प्राथमिकी दर्ज की गई। जांच में पुलिस ने 7 जुलाई 2022 को कथित फर्जी मुठभेड़ दिखाई, जिसमें 19 मोटरसाइकिलें और लूटी गई राशि बरामद होने के साथ ओमवीर, धीरेंद्र और अवनीश की गिरफ्तारी दर्शाई गई।
ओमवीर ने दावा किया कि वह 11 अप्रैल से 12 मई 2022 तक बदायूं जेल में बंद था और 12 मई को ही रिहा हुआ था, इसलिए 25 अप्रैल को डकैती में शामिल होना असंभव था। इसके बावजूद, उसके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर जेल भेज दिया गया।
संभल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) विभांशु सुधीर ने 24 दिसंबर को ओमवीर की याचिका पर सुनवाई के बाद तत्कालीन थाना प्रभारी पंकज लवानिया, अपराध शाखा के निरीक्षक राहुल चौहान, उप निरीक्षक प्रबोध कुमार, नरेश कुमार, नीरज कुमार, जमील अहमद, आरक्षी वरुण, आयुष, राजपाल, मालती चौहान, दीपक कुमार, हेड कांस्टेबल रूप चंद्र और एक अन्य दुर्वेश के खिलाफ तीन दिन के भीतर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया।
अदालत ने तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) गोपाल सिंह को इस मामले में राहत दी है। शिकायतकर्ता ने कहा कि वह इस राहत के खिलाफ भी कानूनी लड़ाई जारी रखेगा।ओमवीर ने मीडिया से कहा कि उसने फर्जी मुठभेड़ की शिकायत पुलिस अधीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने अदालत के आदेश को न्यायसंगत बताया।
इस बीच, बहजोई के सीओ प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस को अभी तक आदेश औपचारिक रूप से प्राप्त नहीं हुआ है। संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने स्पष्ट किया कि पुलिस अदालत के आदेश को चुनौती देगी और प्राथमिकी दर्ज नहीं करेगी।