2025 में भारत की सांस्कृतिक उपलब्धियां: महा कुंभ, 150 साल ‘वंदे मातरम’, दीपावली को यूनेस्को मान्यता

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 26-12-2025
India's cultural achievements in 2025: Maha Kumbh, 150 years of 'Vande Mataram', and UNESCO recognition for Diwali.
India's cultural achievements in 2025: Maha Kumbh, 150 years of 'Vande Mataram', and UNESCO recognition for Diwali.

 

नई दिल्ली

वर्ष 2025 भारतीय संस्कृति के लिए बेहद उल्लेखनीय रहा। जनवरी-फरवरी में आयोजित महा कुंभ से लेकर नवंबर में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्षों के पूरे साल चलने वाले समारोह और वर्ष के अंत में दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा मिलने तक, संस्कृति मंत्रालय ने एक समृद्ध और विविधतापूर्ण कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की।

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महा कुंभ के दौरान प्रयागराज में 10.24 एकड़ में स्थापित ‘कलाग्राम’ ने भारत की भौतिक और अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शित किया। यह एक संवेदनात्मक यात्रा के रूप में तैयार किया गया था, जिसमें संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प और पारंपरिक कला के माध्यम से देश की विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि को दिखाया गया। इस अवसर पर महा कुंभ का लोगो देशभर के केंद्रीय संरक्षित स्मारकों पर प्रक्षिप्त किया गया।

नवंबर में पूरे देश में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर वर्ष भर चलने वाले समारोहों की शुरुआत हुई। इस वर्ष अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती और सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती भी पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाई गई। जुलाई में दिल्ली में जन संघ विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती भी यादगार समारोहों के माध्यम से आयोजित की गई।

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साल के दूसरे हिस्से में भारत को दो प्रमुख यूनेस्को मान्यताएँ प्राप्त हुईं। जुलाई में पेरिस में आयोजित 47वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक में ‘भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य’ को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। इसमें महाराष्ट्र और तमिलनाडु के 12 किले शामिल हैं, जिनमें रायगढ़, प्रतापगढ़, विजय दुर्ग और सिंधुदुर्ग जैसे ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं।

दिसंबर में दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया। यह भारत का 16वां ऐसा तत्व है जिसे यह मान्यता मिली। इससे पहले कुम्भ मेला, योग, गरबा नृत्य, वेदिक मंत्रोच्चारण और रासलीला जैसे सांस्कृतिक तत्व सूचीबद्ध हैं। संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह मान्यता भारत की शाश्वत मानवता, शांति और अच्छाई की विजय की भावना को सम्मानित करती है।

साल 2025 में भारत ने ‘ज्ञान भारतम’ पहल की शुरुआत भी की, जिसका उद्देश्य देश की पांडुलिपि विरासत को संरक्षित, डिजिटाइज और प्रचारित करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 सितंबर को पोर्टल का शुभारंभ किया। इस पहल ने देश की साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक तकनीक के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित करने का मार्ग प्रशस्त किया।

साल का एक और प्रमुख कार्यक्रम गौड़ीय मिशन संस्थापक श्रीला प्रभुपाद के 150वें जन्मोत्सव का समापन समारोह था, जिसमें उनके जीवन और उनके योगदान से जुड़ी वस्तुएं और कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गईं।

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इसके अलावा, भारत ने बौद्ध धर्म के पवित्र अवशेषों को विदेशों में प्रदर्शित करने का आयोजन भी जारी रखा। देवनीमोरी (गुजरात) से निकाले गए बौद्ध अवशेषों का कोलंबो, श्रीलंका में प्रदर्शन किया जाएगा। हाल ही में इनमें से कुछ अवशेष भूटान और थाईलैंड में प्रदर्शित किए जा चुके हैं।

साल का समापन दीपावली के यूनेस्को मान्यता प्राप्त होने के साथ हुआ, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं को वैश्विक मंच पर नई पहचान देता है। इस वर्ष मंत्रालय ने न केवल देश की सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित किया, बल्कि इसे विश्व स्तर पर प्रस्तुत कर भारतीय विरासत को गौरव और सम्मान दिलाया।