श्रीनगर
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को शुक्रवार को नजरबंद कर दिया गया, जिससे वह श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में जुमे की नमाज अदा नहीं कर पाए। उनके कार्यालय ने इस जानकारी की पुष्टि की।
‘मीरवाइज मंजिल’ नामक सोशल मीडिया पोस्ट में बताया गया कि अधिकारियों ने उमर फारूक को न केवल जुमे की नमाज अदा करने से रोका, बल्कि वार्षिक मीरवाइज फाउंडेशन कैलेंडर की शुरुआत के कार्यक्रम से भी वंचित किया। पोस्ट में इसे “शांतिपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों पर रोक लगाना दुखद और अन्यायपूर्ण” बताया गया।
मीरवाइज उमर फारूक ने हाल ही में ‘एक्स’ प्लेटफॉर्म से सर्वदलीय हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष का पदनाम हटा दिया। उन्होंने इसे “मजबूरी का विकल्प” बताया और कहा कि अधिकारियों की चेतावनी के बाद यह कदम उठाना पड़ा। चेतावनी के अनुसार, गैरकानूनी गतिविधियां रोकने के अधिनियम (उर्फ पीसीए) के तहत हुर्रियत के घटकों पर लगे प्रतिबंध के मद्देनजर उनका सोशल मीडिया खाता बंद किया जा सकता था।
मीरवाइज की नजरबंदी कश्मीर घाटी में अलगाववादियों और धार्मिक गतिविधियों पर बढ़ते नियंत्रण का प्रतीक मानी जा रही है। उनका कार्यालय और समर्थक इसे असंवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करार दे रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कदम सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकते हैं और स्थानीय समुदाय में असंतोष बढ़ा सकते हैं। मीरवाइज फारूक ने लगातार राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से कश्मीर में अपने समर्थकों से जुड़ाव बनाए रखा है।
हालांकि अधिकारियों की ओर से अभी इस कार्रवाई पर कोई टिप्पणी नहीं आई है। इस घटना ने घाटी में धार्मिक आयोजनों और अलगाववादी नेताओं की गतिविधियों के बीच बढ़ते तनाव को उजागर किया है।
मीरवाइज की नजरबंदी और जुमे की नमाज अदा करने से रोकने की घटना ने स्थानीय समुदाय और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है, जो कश्मीर की वर्तमान संवेदनशील स्थिति को दर्शाती है।