क़िंगदाओ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद और पहलगाम आतंकी हमले को नजरअंदाज करने पर गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
इस घटनाक्रम से परिचित अधिकारियों के अनुसार, एससीओ का कार्य सिद्धांत आम सहमति पर आधारित होता है, और जब राजनाथ सिंह ने साझा बयान का समर्थन नहीं किया, तो परिणामस्वरूप सम्मेलन बिना किसी संयुक्त वक्तव्य के समाप्त हो गया।
अधिकारियों ने बताया कि बयान के मसौदे में न तो हालिया पहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र था, और न ही भारत की आतंकवाद के खिलाफ चिंता को लेकर कोई स्पष्ट रुख अपनाया गया था।
पाकिस्तान पर सीधा हमला
सम्मेलन के दौरान अपने भाषण में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा:“कुछ देश आतंकवाद को नीति का उपकरण बनाकर सीमा पार से आतंकवाद को संरक्षण देते हैं और आतंकियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मापदंड अब स्वीकार नहीं किए जा सकते। एससीओ को चाहिए कि वह ऐसे देशों की खुलकर आलोचना करे।”
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना सीधा इशारा किया और कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को अब उसके परिणाम भुगतने होंगे।
पहलगाम हमले का जिक्र और ‘ऑपरेशन सिंदूर’
सिंह ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के तरीके से स्पष्ट है कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा (LET) की सोच के अनुरूप था। उन्होंने बताया कि“इस हमले में पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मारी गई। प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।”
उन्होंने यह भी बताया कि इस हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया और आतंकियों को कड़ा जवाब दिया।
राजनाथ सिंह ने साफ़ किया कि“भारत की नीति आतंकवाद को शून्य सहनशीलता देने की है। अगर ज़रूरत पड़ी तो हम आतंक के केंद्रों को भी निशाना बनाएंगे।”
युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने की अपील
रक्षा मंत्री ने कहा कि युवाओं में कट्टरपंथ को रोकना समय की मांग है और इसके लिए एससीओ देशों को मिलकर प्रयास करना चाहिए.उन्होंने कहा:“आज दुनिया अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, साइबर हमलों और हाइब्रिड युद्ध जैसी कई चुनौतियों से जूझ रही है। इनसे लड़ने के लिए पारदर्शिता, आपसी विश्वास और सहयोग आवश्यक है।”
अफगानिस्तान और क्षेत्रीय स्थिरता पर भारत का रुख
सिंह ने दोहराया कि भारत अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और सुरक्षा को लेकर अपनी नीति पर कायम है। उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग की वकालत करते हुए कहा:“एससीओ दुनिया की लगभग 40प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और वैश्विक GDP में इसका 30प्रतिशत योगदान है। इस क्षेत्र को सुरक्षित, स्थिर और समृद्ध बनाना हम सबके हित में है।”
कनेक्टिविटी पर बल
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत मध्य एशिया से बेहतर संपर्क के लिए प्रतिबद्ध है।“बेहतर कनेक्टिविटी से न सिर्फ़ व्यापार बढ़ेगा बल्कि परस्पर विश्वास भी मजबूत होगा। हालांकि, इसमें सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए, जैसा कि एससीओ चार्टर में उल्लेखित है।”
इस प्रकार, भारत ने एससीओ मंच पर एक बार फिर आतंकवाद और सीमा पार से मिल रहे समर्थन को लेकर अपना साफ़ और सख्त रुख़ दुनिया के सामने रखा है। राजनाथ सिंह का यह रुख भारत की 'जीरो टॉलरेंस टू टेररिज्म' नीति की दृढ़ता को दर्शाता है।