चेन्नई/ रमन
तमिलनाडु के शिवकाशी में पटाखा निर्माताओं ने बुधवार को कहा कि अब सिर्फ दिल्ली और एनसीआर ही नहीं, बल्कि देश के सभी राज्यों में हरित पटाखों (ग्रीन क्रैकर्स) का उपयोग बढ़ेगा। निर्माताओं के अनुसार, अधिकांश फैक्ट्रियां अब केवल हरित पटाखे ही बना रही हैं।
यह बयान सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आया है जिसमें उसने त्योहार के दौरान दिल्ली-एनसीआर में कुछ शर्तों के साथ हरित पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हरित पटाखों का उपयोग दीवाली से एक दिन पहले और दीवाली के दिन, सीमित समय के लिए ही किया जा सकेगा। साथ ही, 18 से 21 अक्टूबर तक ही इनकी बिक्री की अनुमति दी गई है।
हरित पटाखे CSIR-NEERI (राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) द्वारा विकसित विशेष योजकों (additives) के माध्यम से बनाए जाते हैं। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरजे कृपादम के अनुसार, 2018 में हर तरह के पटाखों (लक्ष्मी बम, फुलझड़ी, चकरी आदि) के उत्सर्जन स्तर की जांच की गई और उसे 30-35% तक कम किया गया। अब लक्ष्य है 50% तक उत्सर्जन घटाना।
श्री बालाजी फायर वर्क्स इंडस्ट्रीज के मालिक आर. बालाजी ने कहा कि, “पिछले चार वर्षों से हम 100% हरित पटाखे बना रहे हैं। योजकों को मिलाकर पुराने फॉर्मूले को ग्रीन में बदलना आसान रहा।”
तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड एमोर्सेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (TANFAMA) के उपाध्यक्ष जी. अबिरुबेन ने बताया कि अब पारंपरिक पटाखे मुख्यतः अवैध निर्माता ही बना रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बेरियम नाइट्रेट पर 2018 में प्रतिबंध लगाया था, जिससे शिवकाशी के लगभग 95% निर्माता ग्रीन क्रैकर्स बनाने लगे हैं।
अबिरुबेन ने याद करते हुए बताया कि 2018 में शिवकाशी की फैक्ट्रियां NEERI की प्रयोगशाला बन गई थीं, क्योंकि नागपुर भेजना मुश्किल था। उन्होंने बताया, “लगभग साढ़े तीन महीने की मेहनत के बाद पहली सफलता मिली। अब हर उत्पाद को छोटे बैचों में परीक्षण के बाद ही बाज़ार में भेजा जाता है।”
डॉ. कृपादम ने कहा कि अब शिवकाशी में एक स्थायी परीक्षण सुविधा भी बनाई गई है जिसमें 40% लागत निर्माता और 60% भारत सरकार व पर्यावरण मंत्रालय ने दी है। उन्होंने बताया कि नए योजकों पर रिसर्च जारी है जो पटाखा जलने पर पानी की बूंदें छोड़ सकें ताकि धूल कण नीचे बैठें और वायु प्रदूषण कम हो।
एनईईआरआई ने सुनिश्चित किया है कि योजक निर्माताओं को बहुत कम कीमत पर उपलब्ध कराए जाएं। अब तक 1,403 निर्माता, जिनमें अधिकांश शिवकाशी के हैं, अपने फॉर्मूले NEERI में पंजीकृत करवा चुके हैं।
अबिरुबेन ने बताया कि पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के डीलरों के पास पर्याप्त स्टॉक है। GST लागू होने के बाद राज्य के बीच पटाखों का आवागमन आसान हो गया है।
उन्होंने कहा, “अब किसी राज्य से C-फॉर्म की जरूरत नहीं, कोई भी कहीं से भी GST बिल बना सकता है।”
नया कार्नेशन फायरवर्क्स के आंशिक मालिक जयशंकर ने बताया कि पहले दिल्ली-एनसीआर कुल बिक्री का लगभग 20% हिस्सा था, लेकिन अब यह बाजार पंजाब और यूपी जैसे राज्यों के डीलरों के पास चला गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ग्रीन पटाखों पर भरोसा और उपयोग दोनों बढ़ रहा है। शिवकाशी के निर्माता इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और अब देशभर में ग्रीन क्रैकर्स का प्रसार हो रहा है।