2027 में होगा पहला मानवयुक्त मिशन: इसरो प्रमुख वी. नारायणन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 15-10-2025
ISRO to send Indians to the Moon by 2040, first manned mission in 2027: ISRO chief V. Narayanan
ISRO to send Indians to the Moon by 2040, first manned mission in 2027: ISRO chief V. Narayanan

 

रांची

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने बुधवार को कहा कि इसरो ने 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का लक्ष्य तय किया है। साथ ही, भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ वर्ष 2027 की पहली तिमाही में लॉन्च किया जाएगा।

बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी), मेसरा के 35वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने पहुंचे नारायणन ने कहा कि इसरो इस दिशा में महत्वाकांक्षी योजनाओं और सुधारों के साथ काम कर रहा है।

उन्होंने बताया:“हमारा लक्ष्य है कि 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर उतरें और सुरक्षित लौटें। इसके साथ ही हम 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) स्थापित करना चाहते हैं। इसका प्रारंभिक मॉड्यूल 2027 की शुरुआत में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।”

‘गगनयान’ मिशन की तैयारियां

इसरो प्रमुख ने बताया कि गगनयान मिशन को सफल बनाने के लिए तीन मानवरहित मिशनों की योजना बनाई गई है, जिनमें से पहला मिशन इस साल दिसंबर में भेजा जाएगा। इसमें अर्ध-मानव रोबोट 'व्योममित्र' को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा।

“इसके बाद 2026 में दो और मानवरहित मिशन भेजे जाएंगे, और यदि सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो 2027 की पहली तिमाही तक पहला मानवयुक्त ‘गगनयान’ मिशन संभव होगा.” भविष्य की बड़ी परियोजनाएं

नारायणन ने बताया कि भारत की भविष्य की अंतरिक्ष योजनाओं में शामिल हैं:

  • चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5

  • एक नया मंगल मिशन

  • एक प्रमुख खगोलीय वेधशाला मिशन AXOM

  • शुक्र परिक्रमा मिशन (Venus Orbiter Mission - VOM)

उन्होंने कहा कि आदित्य-एल1 मिशन अब तक 15 टेराबिट से अधिक सौर डेटा प्राप्त कर चुका है, जिसमें कोरोनल मास इजेक्शन और अंतरिक्ष मौसम की अहम जानकारियां शामिल हैं।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आत्मनिर्भरता

इसरो प्रमुख ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन वैज्ञानिक और रणनीतिक प्राथमिकताओं के अनुसार निर्णय लिए जाएंगे।“हमारा फोकस आत्मनिर्भरता, जलवायु विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान पर है, जो आज वैश्विक चिंताओं में शामिल हैं।”

निजी क्षेत्र और स्टार्टअप्स की भूमिका

नारायणन ने बताया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों के कारण 300 से अधिक स्टार्टअप्स अब उपग्रह निर्माण, प्रक्षेपण सेवाओं और डेटा विश्लेषण में सक्रिय हैं।“कुछ साल पहले तक यह संख्या नगण्य थी। आज हम 35 किलोग्राम से लेकर 80,000 किलोग्राम तक के प्रक्षेपण की योजना बना रहे हैं — यह एक बड़ा बदलाव है।”

भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियां

इसरो प्रमुख ने भारत की उपलब्धियों पर गर्व जताते हुए कहा:

  • चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज की।

  • चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर विश्व रिकॉर्ड बनाया।

  • स्पैडेक्स मिशन की सफलता के साथ भारत डॉकिंग और अनडॉकिंग में सफल होने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया।

“आज भारत अंतरिक्ष के नौ प्रमुख क्षेत्रों में दुनिया में नंबर एक है,” नारायणन ने कहा।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तय किए गए स्पष्ट रोडमैप की सराहना की और कहा कि इससे इसरो को आत्मनिर्भर और प्रभावशाली अंतरिक्ष प्रणाली विकसित करने में स्पष्ट दिशा और आत्मविश्वास मिला है।