हिंदुओं से मुसलमानों को कभी कोई खतरा नहीं: मोहन भागवत

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
हिंदुओं से मुसलमानों को कभी कोई खतरा नहीं: मोहन भागवत
हिंदुओं से मुसलमानों को कभी कोई खतरा नहीं: मोहन भागवत

 

नागपुर. आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि अल्पसंख्यकों में डर फैलाया जाता है कि उन्हें हमारी या हिंदुओं की वजह से खतरा है. ऐसा न पहले हुआ है और न ही भविष्य में होगा. यह न तो सिंहों का स्वभाव है और न ही हिंदुओं का. हिंदू समाज खतरों में विश्वास नहीं करता है. लेकिन यह सभी का कर्तव्य है कि वे नफरत, अन्याय और उत्पीड़न फैलाने वालों और समाज के खिलाफ गुंडागर्दी और दुश्मनी के कृत्यों में शामिल लोगों से अपना बचाव करें. यह वर्तमान समय की आवश्यकता है. हिंदू किसी के खिलाफ नहीं है. 

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर मुख्यालय में विजयादशमी समारोह में भाग लेते हुए यह विचार व्यक्त व्यक्त किए. इस मौके पर पर्वतारोही संतोष यादव, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मौजूद थे.

भागवत ने आगे कहा, ‘‘एक अन्य प्रकार की बाधा जो हमारे सनातन धर्म में अड़चन डालती है, वह उन ताकतों द्वारा बनाई गई है, जो भारत की एकता और विकास के खिलाफ हैं. वे नकली आख्यान फैलाते हैं, अराजकता को बढ़ावा देते हैं, आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होते हैं. वे आतंकवाद, संघर्ष और सामाजिक अशांति का कारण बनते हैं.

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ हिंदू शब्द पर जोर देता रहेगा. हिंदू राष्ट्र की अवधारणा की हर जगह चर्चा हो रही है. बहुत से लोग इस अवधारणा से सहमत हैं, लेकिन ‘हिंदू’ शब्द के खिलाफ हैं और दूसरे शब्दों का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है. अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए - हम अपने लिए हिंदू शब्द पर जोर देना जारी रखेंगे.

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि लोगों को गलत कामों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, लेकिन कानून के तहत काम करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘गलत कामों के खिलाफ आवाज उठाना सामान्य हो जाना चाहिए... हम सभी को एक होकर एकजुट होना होगा.’’

उन्होंन कहा कि यह सच है कि जितनी अधिक जनसंख्या, उतना ही अधिक बोझ. यदि जनसंख्या का उचित उपयोग किया जाए, तो यह एक संसाधन बन जाती है. हमें यह भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों का पेट भर सकता है और उनका समर्थन कर सकता है. इसलिए एक व्यापक जनसंख्या नीति बनाई जानी चाहिए और सभी पर समान रूप से लागू की जानी चाहिए.

इस बीच मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या नीति विचार-विमर्श के बाद बनाई जानी चाहिए और इसे सभी पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए. मोहन भागवत ने कहा, ‘‘जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है. धर्म के आधार पर जनसंख्या नियंत्रण और जनसंख्या संतुलन एक छोटा विषय है, जिसे अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इसलिए एक व्यापक जनसंख्या नीति लाई जानी चाहिए और सभी के लिए समान रूप से लागू की जानी चाहिए.

आरएसएस प्रमुख ने नागपुर में कहा, ‘‘मंदिर, पानी और दाह संस्कार सबके लिए बराबर होना चाहिए. छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा नहीं करना चाहिए. एक घोड़े की सवारी कर सकता है और दूसरा नहीं कर सकता, ऐसी चीजों का समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए और हमें इस दिशा में काम करना होगा.’’

नई शिक्षा नीति से छात्र सभ्य और अच्छे इंसान बनते हैं.

मोहन भागवत ने कहा कि यह एक मिथक है कि करियर के लिए अंग्रेजी महत्वपूर्ण है. नई शिक्षा नीति से छात्र उच्च संस्कारी बनते हैं, अच्छे लोग देशभक्ति से भी प्रेरित होते हैं, यही सबकी कामना है. समाज को सक्रिय रूप से इसका समर्थन करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘रोजगार का मतलब नौकरी है और वे सरकारी नौकरियों के पीछे भागेंगे. अगर ऐसे सभी लोग भागते रहेंगे हैं, तो कितनी नौकरियां प्राप्त कर सकते हैं? किसी भी समाज में, सरकार में सबसे ज्यादा 10, 20, 30 प्रतिशत नौकरियां हैं.’’

महिलाओं के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता

उन्होंने कहा कि हमें अपनी महिलाओं को सशक्त बनाना है. महिलाओं के बिना समाज का विकास नहीं हो सकता. एक आदमी वो सब काम नहीं कर सकता, जो एक माँ कर सकती है. उनकी शक्ति बहुत बड़ी है और इसलिए उन्हें प्रबुद्ध करना, उन्हें सशक्त बनाना और उन्हें काम करने की स्वतंत्रता देना और उन्हें काम में समान भागीदारी देना आवश्यक है.