आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को गैंगस्टर अबू सलेम को राहत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि प्रथम दृष्टया उसकी राय है कि उसने (सलेम) पुर्तगाल से प्रत्यर्पण की शर्तों के तहत भारत की जेल में अभी तक 25 साल पूरे नहीं किए हैं.
सलेम ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उसे जेल से रिहा करने का अनुरोध किया है. उसने दलील दी है कि अगर अच्छे आचरण के लिए छूट को शामिल किया जाए, तो वह पहले ही 25 साल के कारावास की सजा काट चुका है.
याचिका में कहा गया है कि जब सलेम को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था, उस समय भारत सरकार ने आश्वासन दिया था कि उसे किसी भी मामले में मौत की सजा नहीं दी जाएगी और उसे 25 साल से अधिक की जेल की सजा भी नहीं दी जाएगी.
न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने सोमवार को सलेम की याचिका स्वीकार कर ली, लेकिन कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया.
पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार, सलेम की गिरफ्तारी अक्टूबर 2005 में हुई थी और इसलिए प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि 25 साल की अवधि अभी पूरी नहीं हुई है.
पीठ ने कहा कि वह इस याचिका पर अंतिम सुनवाई उचित समय पर करेगी.