सुकमा (छत्तीसगढ़)
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में बुधवार को 27 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया। इनमें से 16 नक्सलियों पर कुल मिलाकर 50 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह जानकारी एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दी।यह घटनाक्रम महाराष्ट्र के गडचिरोली में वरिष्ठ नक्सली मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति और 60 अन्य नक्सलियों द्वारा हथियार डालने के एक दिन बाद सामने आया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि केंद्र सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो मुख्यतः छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में फैला हुआ है।
बुधवार को सरेंडर करने वाले 27 नक्सलियों में 10 महिलाएं भी शामिल थीं। इन सभी ने सीनियर पुलिस अधिकारियों और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया।सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि नक्सलियों ने आत्मसमर्पण के पीछे "खोखली माओवादी विचारधारा", निर्दोष आदिवासियों पर नक्सलियों द्वारा किए जा रहे अत्याचार और सुरक्षा बलों के बढ़ते प्रभाव को कारण बताया।
उन्होंने बताया कि नक्सली राज्य सरकार की 'नियाड़ नेलनार' (आपका अच्छा गांव) योजना और नई आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से भी प्रभावित हुए, जो दूरदराज के गांवों में विकास कार्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
सरेंडर करने वालों में ओयाम लखमु (53) पीएलजीए (People’s Liberation Guerrilla Army) की बटालियन नंबर-1 का सदस्य था, जिसे माओवादियों की सबसे शक्तिशाली सैन्य इकाई माना जाता है। उस पर 10 लाख रुपये का इनाम था।
इसके अलावा मडवी भीमा (18) जो पीएलजीए बटालियन नंबर-1 की सैन्य प्लाटून यूनिट का सदस्य था, और क्षेत्रीय सैन्य कंपनी नंबर-2 की सदस्य सुनिता उर्फ कवासी सोमड़ी (24) तथा सोड़ी मासे (22) – इन तीनों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम था।
एक अन्य नक्सली पर 3 लाख रुपये, दो पर 2-2 लाख रुपये और नौ अन्य पर 1-1 लाख रुपये का इनाम घोषित था।सरकार की नीति के अनुसार, सभी सरेंडर करने वाले नक्सलियों को प्रारंभिक सहायता के रूप में 50,000 रुपये की राशि दी गई है और उन्हें आगे पुनर्वास योजनाओं का लाभ भी मिलेगा।पुलिस अधीक्षक चव्हाण ने माओवादी संगठन से जुड़े अन्य लोगों से भी हिंसा छोड़ने की अपील करते हुए उन्हें सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन का आश्वासन दिया।