मोहम्मद अकरम /नई दिल्ली
‘‘ नारंग साकी एक ऐसे शख्स के मालिक हैं जो आलोचक के साथ साहित्यकार भी हैं. उन्होंने उर्दू अदब (साहित्य) की जिस तरह खिदमत की उसे भुलाया नहीं जा सकता. ऐसे लोगों की सराहना करना हमारी जिम्मेदारी है. ऐसे लोग बहुत कम मिलते है’’ प्रो वासे ने कहा कि नारंग साकी उर्दू के दूसरे कुंवर महेंद्र सिंह बेदी बनने की राह पर हैं.
उक्त बातें पद्मश्री अख्तरुल वासे ने गालिब अकादमी में साहित्यकार नारंग साकी की किताब ‘मुंतशिम अफकार’ के विमोचन के अवसर पर कहीं. उन्होंने आगे कहा के उर्दूदां गिरोही की सियासत से कोई बचा है तो वह हैं नारंग साकी,
जिन्होंने बहुत ही खामोशी के साथ उर्दू की सेवा की. साल 2022 का साल हमारे लिए जैसा भी रहा, लेकिन इसकी विदाई हम किताब के विमोचन के साथ कर रहे हैं जो बहुत अहम हैं.
मुंतशिम अफकार अच्छी किताब.
जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व कुलपति सैयद शाहिद मेहदी ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि नारंग साकी ने जिस तरह उर्दू साहित्य और आलोचक के तौर पर काम किया है ऐसे बहुत कम लोग मिलते हैं.
आज जब उर्दू और उर्दू लिपि पर बुरा समय है तो ऐसे में इसे जिंदा रखना बहुत अहम है. नई नस्ल के बच्चों तक उर्दू को पहुंचाना हम सबकी जिम्मेदारी है. नारंग साहब की मुंतशिम अफकार बहुत अच्छी किताब है.
साकी कुंवर महेंद्र सिंह बेदी की शमा जलाए....
दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो. खालिद अल्वी ने नारंग साकी की किताब पर बोलते हुए कहा कि वह आज भी कुंवर महेंद्र सिंह बेदी की शमा जलाए हुए हैं. नारंग साकी ने सिर्फ आलोचक ही नहीं कि है, बल्कि इस पर अपनी राय भी दी है.
इससे पहले कई नामचीन पत्रकारों मासूम मुरादाबादी, असद रजा, मतीन अमरोही, शहजाद अंजुम समेत कई व्यक्तियों ने नारंग साकी की किताब पर बातें रखी.आखिर में नारंग साकी ने सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया.