Mann Ki Baat: PM Modi appeals people to plant trees to honour mother under 'Ek Ped Maa Ke Naam' campaign
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर शुरू किए गए 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के बारे में बात की, जिसमें उन्होंने नागरिकों और दुनिया भर के लोगों से अपील की कि वे मातृत्व और पर्यावरण दोनों का जश्न मनाने के लिए अपनी मां के साथ वृक्षारोपण पहल में शामिल हों।
रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम के अपने 111वें एपिसोड में राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अपनी मां के लिए कुछ करने की सोच के साथ, 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पूरे देश में 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान शुरू किया गया था जो तेजी से आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, "अगर मैं आपसे पूछूं कि दुनिया में सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा है, तो आप जरूर कहेंगे- 'मां'। हम सभी के जीवन में 'मां' का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। मां हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर मां अपने बच्चे के प्रति स्नेह रखती है। हमें जन्म देने वाली मां का यह प्यार हम सभी पर कर्ज की तरह है, जिसे कोई चुका नहीं सकता।
हम मां को कुछ दे तो नहीं सकते, लेकिन क्या कुछ और कर सकते हैं? इसी सोच के साथ इस साल विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है- 'एक पेड़ मां के नाम'। मैंने भी अपनी मां के नाम पर एक पेड़ लगाया है।" प्रधानमंत्री ने कहा, "मैंने अपने सभी देशवासियों, दुनिया के सभी देशों के लोगों से अपील की है कि वे अपनी मां के साथ या उनके नाम पर एक पेड़ लगाएं। मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि मां की याद में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है।"
पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम में एक खास तरह के छाते का भी जिक्र किया, जो केरल में बनाया गया है। इन्हें 'कर्थुंभी छाता' कहा जाता है, जिसे राज्य की आदिवासी महिलाएं तैयार करती हैं।
"आज 'मन की बात' में मैं आपको एक खास तरह के छाते के बारे में बताना चाहता हूं। ये छाते हमारे केरल में बनते हैं। वैसे तो केरल की संस्कृति में छातों का एक खास महत्व है। वहां कई परंपराओं और रीति-रिवाजों में छाते अहम होते हैं। लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूं, वो 'कर्थुंभी छाता' है और ये केरल के अट्टापडी में बनते हैं।"
"ये रंग-बिरंगे छाते केरल की हमारी आदिवासी बहनें बनाती हैं। आज इन छातों की मांग पूरे देश में बढ़ रही है। इन्हें ऑनलाइन भी बेचा जा रहा है। ये छाते 'वट्टालक्की सहकारी कृषि समिति' की देखरेख में बनाए जाते हैं। इस समिति का नेतृत्व हमारी नारी शक्ति करती है।"
पीएम मोदी ने कहा कि इन महिलाओं का उद्देश्य सिर्फ अपने छाते बेचना ही नहीं है, बल्कि अपनी परंपराओं और संस्कृति से दुनिया को परिचित कराना भी है।
उन्होंने कहा, "महिलाओं के नेतृत्व में अट्टापदी के आदिवासी समुदाय ने उद्यमिता का अद्भुत उदाहरण पेश किया है। इस समूह ने बांस की हस्तकला इकाई भी स्थापित की है। अब वे रिटेल आउटलेट और पारंपरिक कैफे खोलने की तैयारी कर रहे हैं। उनका उद्देश्य न केवल अपने छाते और अन्य उत्पादों को बेचना है, बल्कि वे दुनिया को अपनी परंपरा और संस्कृति से परिचित कराना भी चाहते हैं।" "आज 'कर्थुंभी अम्ब्रेला' केरल के एक छोटे से गांव से बहुराष्ट्रीय कंपनियों तक का सफर पूरा कर रहा है। 'वोकल फॉर लोकल' का इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है?" पीएम मोदी ने कहा।
उन्होंने अन्य विषयों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन, वैश्विक मंच पर भारतीय फिल्मों की सफलता और वनीकरण में उपलब्धियों पर भी चर्चा की। "इस महीने पूरी दुनिया ने 10वां योग दिवस बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया। मैंने भी जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित योग कार्यक्रम में भाग लिया। कश्मीर में युवाओं के साथ-साथ बहनों और बेटियों ने भी योग दिवस में उत्साह से भाग लिया। जैसे-जैसे योग दिवस का आयोजन आगे बढ़ रहा है, नए रिकॉर्ड बन रहे हैं।