मुंबई. गुजरात के सूरत में 700 मेगावाट की काकरापार परमाणु ऊर्जा परियोजना (केएपीपी-4) ने रविवार तड़के पहली बार महत्वपूर्ण उपलब्धि या नियंत्रण विखंडन श्रृंखला प्रतिक्रिया की शुरुआत हासिल की. अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी. परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) ने सभी शर्तें पूरी करने और संयंत्र प्रणालियों की सुरक्षा की कठोर समीक्षा के बाद मंजूरी प्रदान की थी. केएपीपी-4 ने रात 1:17 बजे क्रिटिकैलिटी हासिल की.
केएपीपी-4 देश भर में स्थापित की जा रही 700 मेगावाट की 16 स्वदेशी दबावयुक्त भारी जल रिएक्टरों की श्रृंखला में दूसरा है. न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बी. सी. पाठक अपनी टीम के साथ नियंत्रण कक्ष से इस मील के पत्थर के साक्षी बने.
पाठक ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए अपनी टीम की सराहना की और कहा कि "केएपीपी-3 के वाणिज्यिक संचालन के छह महीने के भीतर केएपीपी-4 की क्रिटिकैलिटी की उपलब्धि महत्वपूर्ण है". पाठक ने कहा कि यह डिजाइन, निर्माण, कमीशनिंग और संचालन सहित परमाणु ऊर्जा के सभी पहलुओं में एनपीसीआईएल की क्षमता को प्रदर्शित करता है.
'पहली क्रिटिकैलिटी' के बाद, अब केएपीपी-4 पर कई प्रयोग/परीक्षण किए जाएंगे, और एईआरबी मंजूरी के अनुरूप, बिजली का स्तर चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा, और अंततः इकाई अपनी पूरी शक्ति से संचालित होगी. केएपीपी-3 और 4 सूरत जिले के काकरापार में स्थित हैं, जो मौजूदा केएपीएस 1 और 2 के निकट हैं, प्रत्येक की क्षमता 220 मेगावाट है.
अधिकारियों ने कहा कि इन स्वदेशी पीएचडब्ल्यूआर में उन्नत सुरक्षा विशेषताएं हैं और ये दुनिया के सबसे सुरक्षित रिएक्टरों में से हैं. एनपीसीआईएल ने इन रिएक्टरों को डिजाइन, निर्माण, चालू और संचालित किया है. उपकरणों की आपूर्ति और अनुबंधों का निष्पादन भारतीय उद्योगों/कंपनियों द्वारा किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत की भावना को दर्शाता है.
वर्तमान में, एनपीसीआईएल 7480 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 23 रिएक्टरों का संचालन करता है और इसकी 7,500 मेगावाट की क्षमता वाली नौ इकाइयां (केएपीपी-4 सहित) निर्माणाधीन हैं.
इसके अलावा, सात हजार मेगावाट की कुल क्षमता वाले 10 और रिएक्टर पूर्व-परियोजना गतिविधियों में हैं. इनके 2031-32 तक क्रमिक रूप से पूरा होने की उम्मीद है.