आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में एक खेत में मिले एक प्रक्षेप्य को बरामद कर उसे निष्क्रिय कर दिया है.
भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास के गांवों के रिहायशी इलाकों में बिना फटे हुए गोले को निष्क्रिय करने में कामयाबी हासिल की है.
पाकिस्तान द्वारा एलओसी के पार की गई गोलाबारी के बाद जिंदा गोले बरामद किए गए थे. हालांकि, सेना ने सीमावर्ती गांवों में स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए उन्हें सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया.
इससे पहले मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा कि प्रशासन पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के लिए काम कर रहा है, सीमावर्ती इलाकों में और बंकर बनाए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा, "नियंत्रण रेखा के पार से की गई गोलाबारी के कारण कई लोग घायल हुए हैं और घरों को नुकसान पहुंचा है. प्रशासन पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के लिए काम कर रहा है... हम सीमावर्ती इलाकों में और बंकर बनाएंगे." क्षेत्र में जिंदा गोले की मौजूदगी भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के जवाब में पाकिस्तान की भारी तोपखाने की गोलाबारी से उपजी है, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया था. ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के लिए भारत की निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया थी.
7 मई को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए. हमले के बाद, पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा और जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से गोलाबारी के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन हमलों का प्रयास किया, जिसके बाद भारत ने एक समन्वित हमला किया और पाकिस्तान के 11 एयरबेसों में रडार बुनियादी ढांचे, संचार केंद्रों और हवाई क्षेत्रों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इसके बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता समाप्त करने की सहमति की घोषणा की गई.