नई दिल्ली
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन वी. नारायणन ने शुक्रवार को 'नेशनल मीट 2025' के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया और कहा कि यह सम्मेलन देश के नागरिकों तक अंतरिक्ष तकनीक की पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
उन्होंने कहा, "यह हमारे उस सफर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है जिसमें हम अंतरिक्ष अनुप्रयोगों को जमीनी स्तर तक पहुंचाना चाहते हैं। आज भारत में 55 से अधिक अंतरिक्ष आधारित सेवाएं सक्रिय हैं — टीवी प्रसारण से लेकर मौसम पूर्वानुमान तक — जो हर नागरिक की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित कर रही हैं।"
वी. नारायणन ने भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज से पचास साल पहले देश के पास कोई उपग्रह तकनीक नहीं थी। उन्होंने कहा,
"30 जून को, निसार (NISAR - NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar Satellite) लॉन्च किया गया, जो दुनिया का सबसे महंगा उपग्रह है। यह पूरी तरह से ISRO द्वारा निर्मित है और हमारे ही रॉकेट से बिल्कुल सटीक कक्षा में स्थापित किया गया। आज भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में विकसित देशों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है।"
इसरो प्रमुख ने वर्ष 2025 की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा:29 जनवरी 2025 को इसरो ने अपना 100वां रॉकेट लॉन्च किया।भारत अब उन चार देशों में शामिल है जिन्होंने दो उपग्रहों को कक्षा में डॉक और अनडॉक करने की क्षमता हासिल की है।
इस वर्ष, गगनयान मिशन के अंतर्गत ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में भेजा गया और वे सफलतापूर्वक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से लौटे।चंद्रमा की कक्षा में मौजूद सर्वश्रेष्ठ कैमरा तकनीक आज भारत के पास है।
वी. नारायणन ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि अंतरिक्ष तकनीक को और अधिक सटीक, बार-बार उपयोग में आने वाली और उपयोगकर्ता केअनुकूल बनाया जाए। उन्होंने बताया कि इसके लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी भी जरूरी है।
उन्होंने जोर देते हुए कहा, "हम 'विकसित भारत 2047' में योगदान देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करे, तब वह एक विकसित राष्ट्र के रूप में खड़ा हो।"
इससे पहले गुरुवार को भी वी. नारायणन ने कहा था कि 2015 से 2025 के बीच ISRO ने जितनी अंतरिक्ष उड़ानें भरीं, वह 2005 से 2015 के मुकाबले लगभग दोगुनी हैं।
उन्होंने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सराहना करते हुए कहा,"Axiom 4 मिशन इसरो के लिए बेहद गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक रहा। वे पहले भारतीय हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से सुरक्षित वापस लाया गया।"इसरो की ये उपलब्धियां भारत की वैज्ञानिक क्षमता का प्रमाण हैं और देश के विकसित भविष्य की नींव रख रही हैं।