नई दिल्ली
पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक प्रचार अभियान का वैश्विक मंचों पर जवाब देने के लिए भारत ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक रणनीति के तहत 25 से अधिक देशों में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। इनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के मौजूदा और आगामी सदस्य देश शामिल हैं।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को सांसदों को इस रणनीति की जानकारी देते हुए कहा कि भारत यह संदेश देना चाहता है कि "देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है।" उन्होंने बताया कि भारत की यह कूटनीतिक पहल उन देशों तक भारतीय पक्ष की बात पहुंचाने के लिए है, जिनकी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आवाज प्रभावशाली मानी जाती है।
सांसद अपराजिता सारंगी ने बताया, “हम उन पांच देशों में भी प्रतिनिधिमंडल भेज रहे हैं जो आने वाले समय में सुरक्षा परिषद के सदस्य बनेंगे। पाकिस्तान अगले 17 महीनों तक UNSC का सदस्य रहेगा और वह निश्चित रूप से भारत-विरोधी दावे करेगा। इसलिए यह जरूरी है कि भारत के विभिन्न दलों के सांसद मिलकर इन देशों में जाकर भारत का पक्ष रखें।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा उद्देश्य पाकिस्तान के आतंकवाद-प्रशंसक दृष्टिकोण की निंदा करना है और वैश्विक बिरादरी को सच से अवगत कराना है। यह हमारा दायित्व है।”
जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने इस दौरान कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि “इस हमले में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी प्रशिक्षण शिविरों की सीधी भूमिका थी। भारत ने इसके बाद बड़ी कार्रवाई करते हुए नौ आतंकी अड्डों को निशाना बनाया।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन को दोहराते हुए कहा, "यह भारत के खिलाफ छद्म युद्ध जैसा था। पीएम ने स्पष्ट कर दिया है कि अब बहुत हो चुका। भारत अब पाकिस्तान के मंसूबों को पहचान चुका है और उसी की भाषा में जवाब देगा।"
यह पूरी पहल ऑपरेशन सिंदूर और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लगातार कार्रवाई के संदर्भ में हो रही है।
इन सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व कर रहे प्रमुख नेता हैं –
शशि थरूर (कांग्रेस)
रविशंकर प्रसाद (भाजपा)
बैजयंत पांडा (भाजपा)
संजय कुमार झा (जेडीयू)
कनिमोई करुणानिधि (डीएमके)
सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी)
शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने जानकारी दी कि मंगलवार की ब्रीफिंग में उनके, कनिमोई और संजय कुमार झा के नेतृत्व वाले समूहों के सदस्य उपस्थित थे।
यह रणनीति भारत की विदेश नीति में एक समन्वित और आक्रामक रुख का संकेत है, जिसका उद्देश्य वैश्विक समुदाय को भारत के आतंकवाद विरोधी दृष्टिकोण से परिचित कराना और पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा का पर्दाफाश करना है।