‘बाउंसर’ शब्द का इस्तेमाल जनता में डर और दहशत फैलाने के लिए किया जा रहा है: हाई कोर्ट

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 21-05-2025
The word 'bouncer' is being used to spread fear and terror among the public: Punjab and Haryana High Court
The word 'bouncer' is being used to spread fear and terror among the public: Punjab and Haryana High Court

 

चंडीगढ़

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने निजी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए ‘बाउंसर’ शब्द के इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह शब्द आम लोगों के मन में भय, चिंता और आतंक फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जो किसी भी सभ्य समाज में अस्वीकार्य और अनुचित है.

न्यायमूर्ति अनूप चिटकारा की एकल पीठ ने यह टिप्पणी एक निजी सुरक्षा एजेंसी के संचालक की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की.अदालत ने स्पष्ट कहा कि सुरक्षा एजेंसी या सुरक्षा गार्ड रखने का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है, लेकिन जब ये एजेंसियां या उनके कर्मचारी अपने संवैधानिक दायरे से बाहर जाकर खुद को कानून से ऊपर समझने लगते हैं, तो यह गंभीर सामाजिक चिंता का विषय बन जाता है.

पीठ ने विशेष रूप से इस बात पर आपत्ति जताई कि याचिकाकर्ता की सुरक्षा एजेंसी के नाम में ही ‘बाउंसर’ शब्द शामिल है.अदालत ने इसे एक खतरनाक प्रवृत्ति बताया जिसमें कुछ एजेंसियां और उनके कर्मचारी सुरक्षा का काम छोड़कर धमकी देने और डर पैदा करने का काम करने लगे हैं.

न्यायालय ने यह भी कहा कि सरकार को भी इस चलन की जानकारी है कि किस तरह ‘बाउंसर’ शब्द का उपयोग ताकत और दबदबा दिखाने के लिए किया जा रहा है, फिर भी वह इस मुद्दे पर उदासीन और असंवेदनशील बनी हुई है.

अदालत ने शब्दकोश में दी गई ‘बाउंसर’ की परिभाषा का उल्लेख करते हुए कहा कि यह शब्द निजी सुरक्षा सेवा के लिए उचित नहीं है.पीठ ने कहा कि निजी सुरक्षा एजेंसियां (विनियमन) अधिनियम, 2005 और पंजाब निजी सुरक्षा एजेंसी नियम, 2007 के तहत, केवल ‘निजी सुरक्षा गार्ड’ और ‘निजी सुरक्षा एजेंसी’ जैसे शब्दों का ही प्रयोग किया गया है, न कि ‘बाउंसर’ का.

अदालत ने निर्देश दिया कि सुरक्षा एजेंसियों को केवल इन नियमों के तहत उपयुक्त और वैधानिक शब्दावली का ही प्रयोग करना चाहिए और ‘बाउंसर’ जैसे शब्दों से परहेज करना चाहिए, जो समाज में भय फैलाते हैं.