मणिपुर की इंफाल घाटी में 48 घंटे के बंद से जनजीवन प्रभावित

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 23-05-2025
48-hour shutdown in Manipur's Imphal valley affects normal life
48-hour shutdown in Manipur's Imphal valley affects normal life

 

इंफाल

सरकारी बस पर लिखा ‘‘मणिपुर का नाम ढंकने के लिए मजबूर किए’’ जाने की घटना के विरोध में मेइती संगठन ‘कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी’ (सीओसीओएमआई) द्वारा आहूत 48 घंटे के राज्यव्यापी बंद के दूसरे दिन शुक्रवार को इंफाल घाटी के पांच जिलों में जनजीवन प्रभावित रहा.
 
बंद के मद्देनजर सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान, शैक्षणिक संस्थान, सरकारी एवं निजी कार्यालय बंद रहे और सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रहे. चिकित्सा संबंधी आपातकालीन स्थिति और शिरुई लिली महोत्सव में भाग लेने के लिए उखरुल जिले में जाने वाले लोगों को छोड़कर किसी भी अन्य निजी वाहन को सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं है.
 
बिष्णुपुर और थौबल जिलों के विभिन्न हिस्सों में कई महिला बंद समर्थकों ने केंद्रीय सुरक्षा बलों के वाहनों को रोका और सुरक्षा वाहनों के ‘विंडशील्ड’ पर ‘‘मणिपुर/कांगलीपाक’’ के स्टिकर चिपका दिए. कांगलीपाक मणिपुर का प्राचीन नाम है.
शुक्रवार की सुबह इंफाल पूर्वी जिले के एंड्रो पार्किंग, कोंगबा और खुरई इलाकों में सड़क किनारे सब्जी बेचने वालों ने अपनी दुकानें खोली थीं लेकिन बंद समर्थकों ने उन्हें अपनी दुकानें बंद करने को कहा. बंद समर्थकों ने इंफाल पश्चिम जिले के उरीपोक, सिंगजामेई और क्वाकेथेल में भी बंद लागू किया.
 
बंद समर्थकों ने बृहस्पतिवार रात दो किलोमीटर तक मशाल लेकर जुलूस निकाला और ‘‘मणिपुर को मिटाया नहीं जा सकता’’ के नारे लगाए. राजभवन की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर केंद्रीय बलों के जवानों को तैनात किया गया है. मणिपुर सरकार ने बुधवार को इन आरोपों के संबंध में जांच के आदेश दिए कि सुरक्षाकर्मियों ने सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय (डीआईपीआर) के कर्मचारियों को शिरुई लिली महोत्सव में पत्रकारों को ले जा रही बस पर लिखे राज्य के नाम को ढंकने के लिए मजबूर किया.
आरोप है कि सुरक्षा बलों ने सरकारी बस को बीच रास्ते में रोक दिया था. बस के जरिए सरकार पत्रकारों को मंगलवार को उखरुल जिले में आयोजित पर्यटन महोत्सव को कवर करने के लिए ले जा रही थी. सुरक्षा बलों ने डीआईपीआर के कर्मचारियों को बस पर लिखे राज्य के नाम को सफेद कागज से ढंकने के लिए कथित तौर पर मजबूर किया.
 
गृह विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, सरकार ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित की और कहा है कि वह ‘‘20 मई को ग्वालटाबी चौकी के पास मणिपुर शिरुई उत्सव को कवर करने के लिए मीडियाकर्मियों को ले जा रही मणिपुर राज्य सड़क परिवहन बस और सुरक्षाकर्मियों से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों की जांच करेगी.’’ आदेश में कहा गया है, ‘‘समिति किसी भी तरह की चूक की जांच करेगी और भविष्य में ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उपाय सुझाएगी.’’
 
आदेश के अनुसार, आयुक्त (गृह) एन. अशोक कुमार और सचिव किरणकुमार सिंह की समिति को 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है. घटना पर आक्रोश के बीच, सीओसीओएमआई ने बुधवार आधी रात से 48 घंटे की हड़ताल का आह्वान किया था. उसने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से माफी मांगने तथा सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव सिंह और मुख्य सचिव प्रशांत कुमार सिंह के इस्तीफे की मांग की है.
 
सीओसीओएमआई के संयोजक खुरैजम अथौबा ने कहा, ‘‘सरकारी बस से मणिपुर का नाम हटाने का निर्णय मणिपुर विरोधी है. यह मणिपुर की अवधारणा और इसकी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पहचान को पूरी तरह से चुनौती देता है.’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर के लोग यह जानना चाहते हैं कि किस अधिकार के तहत यह निर्णय लिया गया. इसे 48 घंटे के भीतर जनता के सामने स्पष्ट किया जाना चाहिए.’’
मेइती और कुकी-जो समुदाय के बीच जातीय संघर्ष से जूझने वाले राज्य में दो साल के अंतराल के बाद शिरुई लिली उत्सव आयोजित किया जा रहा है. फरवरी में एन. बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है.