शिमला
हिमाचल प्रदेश को पिछले चार वर्षों में लगातार बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण लगभग 46,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है। यह खुलासा सोमवार को जारी की गई ‘हिमाचल प्रदेश मानव विकास रिपोर्ट 2025: जलवायु प्रभावित विश्व में भविष्य का निर्माण’ में किया गया है।
यह 256 पृष्ठों की रिपोर्ट पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से तैयार की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस रिपोर्ट को जारी करते हुए कहा कि राज्य के लिए जलवायु परिवर्तन अब विकास की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है और इससे निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, बीते पांच मानसून सीजन में राज्य में आई विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण लगभग 1,700 लोगों की जान चली गई। वहीं, अनियमित और अत्यधिक वर्षा के कारण राज्य के 70 प्रतिशत पारंपरिक जल स्रोत या तो सूख चुके हैं या सूखने की कगार पर हैं, जिससे कई इलाकों में जल संकट गहराता जा रहा है और ग्रामीण आबादी पलायन के लिए मजबूर हो रही है।
इसके अलावा, जंगल की आग की घटनाओं में भी चिंताजनक वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2022-23 में जहां 856 घटनाएं दर्ज की गईं, वहीं 2024-25 में इनकी संख्या बढ़कर 2,580 हो गई। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि जलवायु परिवर्तन की रफ्तार इसी तरह जारी रही, तो आने वाले वर्षों में राज्य की पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था को और भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।