आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बाढ़ और लगातार बारिश के बीच, उपायुक्त निधि मलिक ने राहत कार्यों के दौरान ड्यूटी से अनुपस्थित रहने पर 13 सरकारी अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।
इन अधिकारियों में आठ ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO), चीफ एग्रीकल्चर ऑफिसर, डिस्ट्रिक्ट एग्रीकल्चर ऑफिसर, एक मेडिकल ऑफिसर, एक असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (AEE) और एक सीनियर असिस्टेंट शामिल हैं।
जिला प्रशासन ने खराब मौसम को देखते हुए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी थीं, लेकिन इसके बावजूद ये सभी बिना अनुमति के अपनी ड्यूटी से नदारद पाए गए। अधिकारियों ने इस व्यवहार को कर्तव्य के प्रति गंभीर लापरवाही और सरकारी निर्देशों का उल्लंघन बताया है। जिला प्रशासन ने साफ कर दिया है कि राहत और बचाव कार्यों में लापरवाही बरतने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इस बीच, जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही बारिश से कई नदियाँ उफान पर हैं। अखनूर जिले में चिनाब नदी के उफान पर होने से गरखल गाँव में बाढ़ आ गई, जिसके बाद सेना और NDRF ने मिलकर ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया। उप-विभागीय मजिस्ट्रेट मुख्तार अहमद ने बताया कि करीब 45 लोगों को हेलीकॉप्टर की मदद से सुरक्षित निकाला गया।
सांबा जिले में भी सेना ने एक गर्भवती महिला को सफलतापूर्वक बचाया। राजौरी, डोडा, और श्रीनगर जैसे जिलों में भी बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। तावी और झेलम नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।
हालात का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें उन्होंने अधिकारियों को राहत प्रयासों को तेज करने, जलभराव वाले इलाकों को साफ करने और आवश्यक सेवाओं को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) पर बताया कि उन्होंने प्रशासन को जमीन पर रहकर स्थिति से निपटने और जरूरत पड़ने पर लोगों को सुरक्षित निकालने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ हफ्तों से उत्तर भारत में, खासकर हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और उत्तराखंड में भारी बारिश और बाढ़ का कहर जारी है। इसकी वजह से भूस्खलन, अचानक बाढ़ और व्यापक जलभराव हुआ है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है।