रूस में भारत का बढ़ता कद: 31 लाख भारतीय श्रमिकों के लिए खुलेगा रोजगार का द्वार

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 03-09-2025
India's growing stature in Russia: Doors of employment will open for 31 lakh Indian workers
India's growing stature in Russia: Doors of employment will open for 31 lakh Indian workers

 

मलिक असगर हाशमी/नई दिल्ली

भू-राजनीतिक समीकरणों को चुनौती देते हुए भारत और रूस के बीच सदियों पुराने संबंध अब एक नए आयाम पर पहुंच गए हैं.अमेरिका और पश्चिमी देशों की तमाम आपत्तियों के बावजूद, दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी और आर्थिक सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है.इसी कड़ी में, रूस ने भारतीय युवाओं के लिए रोजगार का एक अभूतपूर्व अवसर खोला है.

एक ऐतिहासिक समझौते के तहत, रूस अगले पांच वर्षों में 31लाख भारतीय कुशल श्रमिकों को अपने विभिन्न क्षेत्रों में नियुक्त करने जा रहा है.यह कदम न केवल दोनों देशों के बीच विश्वास को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती 'सॉफ्ट पावर' का भी प्रमाण है.

मजदूरों की कमी से जूझते रूस के लिए संजीवनी

विदेशी मीडिया और रूसी श्रम मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, रूस 2030तक भारत से कुल 31लाख कुशल श्रमिकों की भर्ती करने की योजना बना रहा है.

इस महत्वाकांक्षी पहल के तहत, इसी वर्ष 10लाख भारतीय श्रमिक रूस जाएंगे, जिन्हें मुख्य रूप से निर्माण और कपड़ा क्षेत्रों में नियोजित किया जाएगा.यह रूस के लिए एक बड़ी राहत है, जो यूक्रेन युद्ध के कारण गंभीर श्रम संकट का सामना कर रहा है.

यूक्रेन में चल रहे साढ़े तीन साल के युद्ध ने रूस की कामकाजी उम्र की आबादी पर गहरा असर डाला है.आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, इस युद्ध में अब तक दस लाख से अधिक रूसी सैनिक मारे गए हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा आम नागरिकों का था जिन्हें सरकार ने सेना में शामिल होने के लिए बुलाया था.

इस मानव शक्ति के नुकसान ने रूसी अर्थव्यवस्था के कई प्रमुख क्षेत्रों में एक बड़ा शून्य पैदा कर दिया है, जिसे भरने के लिए रूस ने अब भारत की ओर रुख किया है.

राजदूत विनय कुमार ने किया पुष्टि

रूस में भारतीय राजदूत विनय कुमार ने रूसी समाचार एजेंसी TASS को दिए एक विशेष साक्षात्कार में इस समझौते की पुष्टि की है.उन्होंने कहा, "रूस में श्रमिकों की बड़े पैमाने पर मांग है, जबकि इसके विपरीत, भारत के पास कुशल कामगारों की कोई कमी नहीं है."

उन्होंने आगे बताया कि रूस ने अपनी नीतियों और कानूनों का पालन करते हुए भारतीयों को नियुक्त करने में गहरी रुचि दिखाई है.यह समझौता न केवल रूस की जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि भारत के लिए भी एक बड़ा आर्थिक और रणनीतिक लाभ लेकर आएगा.

समझौते के तहत, उच्च शिक्षित और प्रशिक्षित भारतीय श्रमिकों को रूसी सरकारी और अर्ध-सरकारी संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर भी नियुक्त किया जाएगा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह सहयोग केवल मैनुअल लेबर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें बौद्धिक पूंजी का आदान-प्रदान भी शामिल है.

पिछले 5 सालों में 7 गुना वृद्धि

यह ऐतिहासिक समझौता अचानक नहीं हुआ है.पिछले कुछ वर्षों से रूस में भारतीय श्रमिकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है.दिल्ली स्थित थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के आंकड़ों के अनुसार, 2021में जहां केवल 5,480भारतीयों को रूस में वर्क परमिट मिला था, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 36,208 हो गई.

यह पांच सालों में लगभग सात गुना की वृद्धि है, जो रूसी अर्थव्यवस्था में भारतीय जनशक्ति के बढ़ते महत्व को स्पष्ट रूप से दर्शाती है.

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भारतीय श्रमिकों के लिए विशेष दूतावास

इतनी बड़ी संख्या में भारतीय श्रमिकों के रूस में प्रवास को सुविधाजनक बनाने के लिए, दोनों देशों ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है.भारत और रूस मिलकर एक नया दूतावास खोलने की योजना बना रहे हैं, जो विशेष रूप से भारतीय श्रमिकों की सेवा के लिए होगा.

राजदूत विनय कुमार ने बताया कि यह प्रस्तावित दूतावास केवल भारतीय कामगारों को पासपोर्ट, वीजा, जन्म पंजीकरण और अन्य सहायक सेवाएं प्रदान करेगा, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े.यह कदम भारत सरकार की अपने नागरिकों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है और यह सुनिश्चित करता है कि रूस में रहने वाले भारतीयों को हर संभव सहायता मिले.

वैश्विक संबंधों में भारत का रणनीतिक लाभ

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका लगातार भारत पर रूस से दूरी बनाने का दबाव डाल रहा है.हालांकि, भारत ने अपनी विदेश नीति में स्वायत्तता बनाए रखी है और अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा है.

रूस से एस-400मिसाइल प्रणाली की खरीद हो या सस्ती दरों पर तेल आयात, भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि वह अपने रणनीतिक साझेदारों से संबंध बनाए रखेगा, भले ही पश्चिमी देश इसका विरोध क्यों न करें.

इस समझौते के साथ, भारत न केवल अपने कुशल कार्यबल के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहा है, बल्कि रूस जैसे एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के साथ अपने संबंधों को और मजबूत भी कर रहा है.यह एक ऐसा कदम है जो भारत को एक ऐसे देश के रूप में स्थापित करता है जो न केवल अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था को संभाल सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर मानव संसाधन की जरूरतों को भी पूरा करने में सक्षम है.

यह कहना गलत नहीं होगा कि यह समझौता सिर्फ श्रमिकों की भर्ती तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरी रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है जो आने वाले वर्षों में दोनों देशों के भविष्य को आकार देगी.