धनखड़ ने न्यायाधीश के आवास से नकदी मिलने के मामले की आपराधिक जांच शुरू करने की उम्मीद जतायी

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 07-07-2025
Dhankhar expressed hope of starting a criminal investigation into the case of cash found from the judge's residence
Dhankhar expressed hope of starting a criminal investigation into the case of cash found from the judge's residence

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नयी दिल्ली में एक न्यायाधीश के आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले की आपराधिक जांच शुरू की जाएगी.
 
धनखड़ ने इस घटना की तुलना शेक्सपीयर के नाटक जूलियस सीजर के एक संदर्भ ‘‘इडस ऑफ मार्च’’ से की, जिसे आने वाले संकट का प्रतीक माना जाता है.
 
रोमन कलैंडर में इडस का अर्थ होता है, किसी महीने की बीच की तारीख। मार्च, मई, जुलाई और अक्टूबर में इडस 15 तारीख को पड़ता है.
 
उपराष्ट्रपति ने इस घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि अब मुद्दा यह है कि यदि नकदी बरामद हुई थी तो शासन व्यवस्था को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी और पहली प्रक्रिया यह होनी चाहिए थी कि इससे आपराधिक कृत्य के रूप में निपटा जाता, दोषी लोगों का पता लगाया जाता और उन्हें कठघरे में खड़ा किया जाता.
 
उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्ट्डीज (एनयूएएलएस) में छात्रों और संकाय सदस्यों से बातचीत करते हुए उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने की तुलना ‘‘आइडस ऑफ मार्च’’ से की.
 
उल्लेखनीय है कि रोम के सम्राट जूलियस सीजर की हत्या 44 ईसा पूर्व में 15 मार्च को हुई थी.
 
उपराष्ट्रपति ने कहा कि 14-15 मार्च की रात को न्यायपालिका को अपने खुदे के ‘‘इडस ऑफ मार्च’’ का सामना करना पड़ा, जब बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की गयी थी, लेकिन अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी.
 
धनखड़ ने कहा कि इस मामले से शुरुआत से ही एक आपराधिक मामले के तौर पर निपटा जाना चाहिए था, लेकिन उच्चतम न्यायालय के 90 के दशक के एक फैसले के कारण केंद्र सरकार के हाथ बंधे हुए हैं.
 
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अभी तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी। केंद्र सरकार इस मामले में उच्चतम न्यायालय के 90 के शुरुआती दशक के एक फैसले के कारण कार्रवाई करने में असमर्थ है, जिसकी वजह से प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकी.’’
 
उपराष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया भारत को एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में देखती है, जहां कानून का शासन होना चाहिए और कानून के समक्ष समानता होनी चाहिए, जिसका मतलब है कि हर अपराध की जांच होनी चाहिए.
 
उन्होंने कहा, ‘‘अगर इतना अधिक मात्रा में पैसा है, तो हमें पता लगाना होगा: क्या यह दागी पैसा है? इस पैसे का स्रोत क्या है? यह एक न्यायाधीश के आधिकारिक आवास में यह कैसे पहुंचा? यह किसका था? इस प्रक्रिया में कई दंड प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। मुझे उम्मीद है कि प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.’