क़िंगदाओ (चीन)
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की रक्षा मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए अपने समर्थन पर पूरी तरह से अडिग है।
उन्होंने कहा, “भारत अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए अपनी नीति में निरंतर और दृढ़ रहा है। हमारी तत्काल प्राथमिकताओं में अफगान जनता को मानवीय सहायता प्रदान करना और उनके समग्र विकास में योगदान देना शामिल है। अफगानिस्तान का सबसे बड़ा क्षेत्रीय विकास साझेदार होने के नाते भारत लगातार वहां क्षमता निर्माण की पहलें लागू कर रहा है।”
राजनाथ सिंह ने भारत के सभ्यतागत मूल्यों और वैश्विक दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सहमति बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने आतंकवाद, साइबर हमलों और हाइब्रिड युद्ध जैसी पारराष्ट्रीय खतरों से निपटने के लिए एकजुट प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “भारत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के सिद्धांत पर आधारित वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सहमति बनाने का प्रयास करता रहा है, जो हमारी सभ्यतागत सोच ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) पर आधारित है। आपसी समझ और पारस्परिक लाभ हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिए।”
राजनाथ सिंह ने एससीओ ढांचे के भीतर अधिक एकता और सहयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “भारत एससीओ सदस्य देशों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देने का समर्थन करता है। हमें क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में एकजुट होकर काम करना चाहिए।”
उन्होंने भारत और मध्य एशिया के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के अपने देश के संकल्प को भी दोहराया। उन्होंने कहा, “भारत मध्य एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। बेहतर संपर्क न केवल आपसी व्यापार को बढ़ाता है, बल्कि आपसी विश्वास को भी मजबूत करता है। हालांकि, इन प्रयासों में एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांतों, विशेष रूप से सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान को बनाए रखना आवश्यक है।”
राजनाथ सिंह ने पुनर्गठित बहुपक्षवाद (reformed multilateralism) के महत्व पर भी बल दिया और कहा कि कोई भी देश, चाहे वह कितना ही बड़ा या शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले वैश्विक समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, “दरअसल, वैश्विक व्यवस्था और बहुपक्षवाद की अवधारणा की बुनियाद यही है कि राष्ट्रों को पारस्परिक और सामूहिक लाभ के लिए मिलकर काम करना होगा। यह हमारे प्राचीन संस्कृत मंत्र ‘सर्वे जना: सुखिनो भवन्तु’ का भी प्रतीक है, जिसका अर्थ है - सभी लोग सुखी हों।”
एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक 25-26 जून को क़िंगदाओ में आयोजित हो रही है, जहां सदस्य देशों के रक्षा प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा, आतंकवाद विरोध, और रक्षा सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस बैठक में भारत एससीओ के सिद्धांतों और उद्देश्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएगा, वैश्विक शांति और सुरक्षा के अपने दृष्टिकोण को साझा करेगा और आतंकवाद व उग्रवाद को समाप्त करने के लिए संयुक्त प्रयासों की वकालत करेगा।
बैठक के इतर राजनाथ सिंह चीन, रूस और अन्य सदस्य देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय मुलाकातें भी करेंगे।
रक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत एससीओ को बहुपक्षीय सहयोग, राजनीतिक संवाद, आर्थिक विकास, सुरक्षा और लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में देखता है।
बयान में कहा गया है, “एससीओ अपने सिद्धांतों पर आधारित नीतियां अपनाता है, जिनमें सदस्य देशों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप, आपसी सम्मान, समझ और समानता शामिल हैं।”
2001 में स्थापित एससीओ एक सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग पर केंद्रित है। भारत 2017 में एससीओ का पूर्ण सदस्य बना था और 2023 में इसने इसकी अध्यक्षता भी की थी।
वर्तमान में एससीओ के सदस्य देशों में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। इस वर्ष 2025 में चीन संगठन का अध्यक्ष देश है और थीम है: ‘शंघाई स्पिरिट को बनाए रखते हुए एससीओ को आगे ले जाना।’