आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से चीन और भारत पर टैरिफ़ दबाव बढ़ाने के बीच, बीजिंग और नई दिल्ली अपने द्विपक्षीय संबंधों को चुपचाप लेकिन मज़बूती से आगे बढ़ा रहे हैं। दोनों देशों के बीच हाल में उच्च स्तरीय यात्राएं, वार्ताएं और 2020 से बंद पड़ी सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने की तैयारियां इसी का संकेत हैं।
ब्रिटिश समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी अगले हफ्ते नई दिल्ली आएंगे, जहां वे भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ हिमालयी सीमा की स्थिति पर चर्चा करेंगे। यह 2020 में सीमा पर हुई झड़प के बाद से केवल दूसरी बार होगा, जब इतनी उच्च स्तरीय सीमा बैठक हो रही है।
इसी महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन की यात्रा करेंगे और वहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के इतर होगी।
पिछले साल अक्टूबर में भारत और चीन के बीच हुए सीमा गश्ती समझौते ने व्यापार, निवेश और हवाई संपर्क बहाल करने का रास्ता खोला था। अब दोनों देश 2020 में निलंबित सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने और हिमालयी सीमाओं पर व्यापार सुगमता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। भले ही सीमा व्यापार का आकार कुल 127.7 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार की तुलना में छोटा हो, विशेषज्ञ इसे संबंध सामान्य करने की दिशा में अहम प्रतीकात्मक कदम मानते हैं।
अमेरिका और भारत के बीच हालिया तनाव भी इस नज़दीकी का एक कारण है। ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ़ लगाया है, जो अमेरिकी रणनीतिक साझेदारों में सबसे अधिक है। विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति भारत और चीन को एक-दूसरे के करीब ला रही है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के अनुसार, सीमा व्यापार बहाल करने को लेकर चीन से सक्रिय बातचीत चल रही है। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इससे सीमावर्ती लोगों की आजीविका में सुधार होगा और जन-जन के बीच आदान-प्रदान बढ़ेगा।
इस बीच, भारत सरकार के एक थिंक टैंक ने चीनी निवेश नियमों में ढील देने का सुझाव दिया है, जिसे विशेषज्ञ आर्थिक रिश्तों में नई दिशा की संभावना मान रहे हैं।