बस्तर (छत्तीसगढ़)
छत्तीसगढ़ पुलिस के समक्ष 21 नक्सलियों के समर्पण के साथ एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। बस्तर के इन्स्पेक्टर जनरल (IG) पी. सुंदरराज ने बुधवार को स्पष्ट कहा कि नक्सलियों के सामने विकल्प केवल “समर्पण” या “संघर्ष” का है और जो समर्पित होते हैं, उनका स्वागत किया जाएगा।
एएनआई से बातचीत में IG सुंदरराज ने बताया, “26 अक्टूबर को कुल 21 माओवादी हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटे। केशकल डिवीजन कमिटी सचिव मुकेश के नेतृत्व में 13 महिला और 8 पुरुष कैडर, जिनके पास 18 हथियार थे, ने समर्पण किया। प्रशासन उन्हें पुनर्वास के लिए सभी प्रकार की सहायता प्रदान कर रहा है।”
इससे पहले, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई ने रविवार को कहा था कि “नक्सलवाद की रीढ़ टूट गई है”। उन्होंने बताया कि कांकेर जिले में 21 माओवादी कैडर, जिनमें 13 महिलाएं शामिल हैं, ने समर्पण किया। मुख्यमंत्री ने इसे 'समर्पण और पुनर्वास नीति' की सफलता बताया और कहा कि अब “भटकते हुए युवा विकास के मार्ग को चुनने लगे हैं।”
सीएम साई ने अपने X (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में लिखा, “जनविरोधी माओवादी विचारधारा का अंत ‘पुना मार्ग’ के माध्यम से, बस्तर में शांति की स्थापना। आज कांकेर जिले में ‘पुना मार्ग – पुनर्वास से पुनरुत्थान तक’ पहल के तहत 21 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर समर्पण किया। यह हमारे 'समर्पण और पुनर्वास नीति – 2025' और 'नियाड नेल्ला नर योजना' की सफलता का सार्थक प्रमाण है, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विश्वास और बदलाव की नई लहर पैदा कर रही है।”
मुख्यमंत्री साई ने दोबारा स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य भारत को 31 मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त बनाना है।
वहीं, 74वीं बटालियन CRPF ने बुधवार को डोरनपाल मुख्यालय में बहादुर K-9 कुत्ते ‘ईगो’ को पूरी सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। अधिकारी ने बताया, “‘ईगो’ का नक्सल विरोधी अभियान में विशेष योगदान रहा। आज हम दुखी हैं कि हमारे सदस्य ‘ईगो’, जिसकी आयु 4 साल 8 महीने थी, ने ड्यूटी के दौरान गंभीर किडनी बीमारी के कारण अपने प्राण गंवा दिए। ‘ईगो’ ने कई IED खोजने में हमारी मदद की थी।”