राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
छत्तीसगढ़ के हरदिल अजीज आईपीएएस अफसर आरिफ शेख को राज्य सरकार ने पदोन्नति देकर आईजी यानी पुलिस महानिरीक्षक बना दिया है. आरिफ बेहतर पुलिसिंग और विभाग में नवाचार के लिए जाने जाते हैं. वे अपनी उपलब्धियों के लिए कई मशहूर अवार्डों से भी नवाजे जा चुके हैं. सोशल मीडिया पर उन्हें इस पदोन्नति के बाद लगातार बधाईयां मिल रही हैं.
अज्जू खान ने ट्वीट करके यह जानकारी साझाा की है, ‘‘छत्तीसगढ़ः आईपीएस आरिफ शेख का हुआ प्रमोशन, पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) बने.’’
छत्तीसगढ़: IPS आरिफ शेख का हुआ प्रमोशन, पुलिस महानिरीक्षक (IG) बने.@arifhs1 #BreakingNews #chattisgarh https://t.co/19mRHY1MbN pic.twitter.com/tcCoSy81Mq
— Bhai Ajju Khan 🕺 (@IamAzhar____) January 6, 2023
बुजुर्गों का कहना है कि ईश्वर की आराधना और पीरों, फकीरों, मुर्शिदों की दरगाहों पर हाजिरी कभी खाली नहीं जाती. गुज़िश्ता साल में उन्होंने 22 जनवरी को ख्वाजा अजमेर की दरगाह पर हाजिरी लगाई थी और नतीजा सामने है. वे पदोन्नत हो चुके हैं.
Pleased to welcome and host respected Janab IPS Arif Shaikh sb @arifhs1 to Dargah #AjmerSharif Prayers of Peace, Good Health and Great Service to our blessed nation 🇮🇳 INDIA. May you rise n serve at the highest level of your noble career in Indian Police Services. pic.twitter.com/kczn0VFT8q
— Haji Syed Salman Chishty (@sufimusafir) August 27, 2022
रायपुर पुलिस ने कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान घरेलू हिंसा की गंभीर समस्या से निपटने के लिए ‘चुप्पी तोड़’ (ब्रेक साइलेंस) नाम से एक अनूठा अभियान शुरू किया था. इस अभियान के तत्वावधान में रायपुर पुलिस ने घरेलू हिंसा की पीड़िताओं के साथ लगातार सहयोग किया, ताकि उनकी काउंसलिंग कर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई भी की जा सके. रायपुर के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) आरिफ शेख ने इस अभियान की शुरुआत करते हुए कहा था, ‘‘इस लॉकडाउन अवधि के दौरान घरेलू हिंसा के कई मामले सामने आए. इस समस्या के समाधान के लिए हमने ‘छुप्पी तोड़’ अभियान शुरू किया है. इसके तहत, हमने पिछले तीन वर्षों में दर्ज घरेलू हिंसा के मामलों का मूल्यांकन किया और इसके तहत लगभग 1500 पीड़ितों की पहचान की. इसकी स्थापना के पहले 9 दिनों के दौरान, 49 पुरुषों और 395 महिलाओं ने रायपुर में टेलीफोनिक शिकायत पर हिंसा की सूचना दी. इनमें 4 पुरुष व 36 महिला शिकायतकर्ताओं के घर जाकर शिकायत की गई. टोल फ्री नंबर पर गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लोगों ने भी घरेलू हिंसा की शिकायत की है. अभियान के नौवें दिन तक फोन पर कुल 444 और व्हाट्सएप पर 18 शिकायतें प्राप्त हुईं. इनमें से पुलिस ने 244 शिकायत मामलों में सीधी कार्रवाई की है और ऐसे अन्य 200 मामलों को टेलीफोनिक बातचीत पर परामर्श और बातचीत के माध्यम से सुलझाया गया है.’’
चुप्पतोड़ अभियान के लिए आरिफ बहुत सराहे गए. भारत सरकार के पूर्व सहिव अनिल स्वरूप ने उनके इस नवाचार को रेखांकित करते हुए एक ट्वीट में कहा था, ‘‘रायपुर में घरेलू हिंसा को कम करने के लिए इस युवा पुलिस अधिकारी आरिफ शेख द्वारा प्रेरक पहल. अनुकरण के योग्य.’’
Inspiring initiative by this young police officer, Arif Shaikh for reducing domestic violence in Raipur. Worthy of emulation. @nexusofgood @IPS_Association #nexusofgood https://t.co/roYDyhGxeT pic.twitter.com/afNPD6AIms
— Anil Swarup (@swarup58) June 4, 2020
भारत के किसी पहले अधिकारी यानी आरिफ शेख को 2019 में ‘40 अंडर 40 लीडरशिप’ अवार्ड मिला. ओपी जिंदल स्कूल के प्रिंसीपल आरके त्रिवेदी ने इस अवार्ड के लिए आरिफ शेख को बधाई देते हुए कहा, ‘‘पुरस्कार के लिए आरिफ शेख जी को बधाई. वह इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पहले आईपीएस अधिकारी होने के नाते सभी भावुक और युवा आईपीएस अधिकारियों के लिए नए मानदंड स्थापित किए हैं...जय हिंद.’’
Congratulations to Sh. Arif Shaikh Ji for the Award. He being the first IPS officer to receive this award has set new benchmark for all passionate and young IPS officers...Jai Hind 🇮🇳 https://t.co/Pe8YDiG8G9
— R K Trivedi (@RKTrivedi5) October 28, 2019
2005 बैच के आईपीएस ऑफिसर आरिफ शेख 8 जिलों में बतौर पुलिस अधीक्षक अपनी सेवाएं दे चुके हैं. छत्तीसगढ़ के सबसे चर्चित अपहरण केस प्रवीण सोमानी अपहरण मामले में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया था. जब बिना फिरौती दिए उन्होंने अपहरणकर्ताओं को दबोचा था. उन्होंने महिला अपराध और साइबर अपराधों पर भी बहुत बेहतरीन कार्य किया है.
आरिफ शेख की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में हुई. उनके पिताजी पुलिस विभाग में अधिकारी थे. उनका परिवार मरोल पुलिस कैंप में रहा करता है. वहीं सेंट लॉरेंस स्कूल से उन्होंने दसवीं कक्षा तक की शिक्षा ग्रहण की. उसके बाद पिताजी का ट्रांसफर पुणे हो गया. पुणे आकर उन्होंने 12वीं और इंजीनियरिंग की शिक्षा पुणे विद्यापीठ से ली. उनका पहला प्लेसमेंट एचसीएल टेक्नोलॉजी में हुआ. वहां उन्होंने ढाई साल नौकरी की.
आरिफ शेख ने बताया, जनधारा24 के मुताबिक, प्राईवेट जॉब के बाद उनका सिविल सेवा में सिलेक्शन हो गया. पुलिस लाइन में परवरिश के कारण पुलिस विभाग से विशेष रूप से प्रभावित रहे. जहां वे रहते थे, वहां पूरा पुलिसिया माहौल था. बचपन से ही एक आकांक्षा थी कि एसीपी बनना है. लेकिन यह नहीं पता था कि कैसे बनना है? उसके बाद नौकरी लग गई. उसमें खुश था, वहां सैलरी भी अच्छी खासी थी. लेकिन फिर भी कहीं न संतोष नहीं हो रहा था. मुझे लगा कि मेरी जरूरत सिर्फ सिविल सेवा को है और मैंने तैयारी शुरू की.
पहले ही प्रयास में उन्होंने सिविल सेवा काम्पटीशन को पास किया. इसके लिए पूरे 1 साल तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. हर साल इस कंपटीशन में 5 लाख से अधिक लोग बैठते हैं . देश का सबसे टफ एग्जाम माना जाता है. इसमें बड़ी प्लानिंग के साथ पूरी तौर पर फोकस करना पड़ता है. तब जाकर इसमें सफलता मिलती है. 3 सेमेस्टर में एग्जाम होता है . प्रीलिम्स होता है, फिर उसके बाद मेंस होता है और उसके बाद फिर इंटरव्यू होता है.
वे मणिपुर कॉडर के बाद छत्तीसगढ़ आए. उनकी पहली पोस्टिंग त्रिपुरा में हुई थी. वहां वे एएसपी थे. वहां के जो अलगाववादी तत्व हैं, उन पर बहुत हद तक काबू पाया. वह राज्य बहुत छोटा है. 10 हजार स्क्वायर किलोमीटर का आदिवासी बाहुल्य राज्य था. उसमें 4 जिले बने हुए थे. वहां की भाषा बांग्ला थी. इसी शैली में उनसे जुड़ना और काम करना बहुत अच्छा अनुभव था. उन्होंने वहां बहुत कुछ सीखा.
वे बताते हैं कि छत्तीसगढ़ आने के बाद यहां की भाषा हिंदी है. वहां पर बंगाली प्रथम भाषा थी. वहां पर अंग्रेजी में कामकाज होता था, पर यहां पर हिंदी है. तो यहां बेहतर तरीके से काम किया. वहां अलगाववाद की समस्या थी, यहां नक्सलवाद है. इन दोनों तरह की समस्याओं से लड़कर काफी कुछ सीखने को मिला. उन्होंने बताया कि जब मैं छत्तीसगढ़ आया, तो मेरे कई दोस्त मुझसे यह सवाल करते थे कि आप वहां क्यों जा रहे हैं? इतनी खतरनाक जगह है? नक्सलवाद प्रभावित राज्य है. तो मैंने बताया कि वहां हमारी पत्नी की पोस्टिंग है और यहां आने के बाद मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला.
अपने आठ जिलों के अनुभाव के बारे में उन्होंने बताया कि वैसे तो सभी जिलों से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला, लेकिन बालोद में मुझे विशेष अनुभव हुआ. जहां मुझे कम्युनिटी पुलिसिंग शुरुआत करने का मौका मिला. रायपुर तो पूरे राज्य की राजधानी है. तो जो बाकी के 4 जिले थे, वह भी हमारी जिंदगी में काफी महत्वपूर्ण रहे.