'Better late than never': Suresh Gopi on the implementation of PM Shri Yojana in Kerala.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने शनिवार को केरल में पीएम श्री स्कूल योजना लागू करने के राज्य सरकार के फैसले को 'देर आए दुरुस्त आए' करार दिया।
राज्य द्वारा प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के दो दिन बाद, गोपी ने कहा कि इस पहल को लागू करने का केरल सरकार का निर्णय "बहुत देर से" आया।
केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं पर्यटन राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने इस मुद्दे पर संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, "लेकिन, देर आए दुरुस्त आए।"
गोपी ने कहा कि इस योजना के लाभार्थी वे बच्चे हैं जिनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है, इसलिए उन्हें इसके लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
इस पहल के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के रुख के जवाब में उन्होंने कहा कि भाकपा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), सभी के अपने अधिकार हैं, लेकिन इससे उन लोगों की जरूरतों में बाधा नहीं आनी चाहिए, जिन्हें इस योजना के क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि मीडिया की खबरों के अनुसार, केरल में कई स्कूल जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं और उनमें सुधार की आवश्यकता है।
गोपी ने कहा, ‘‘क्या हमारे बच्चों को 40-50 साल पुरानी इमारतों में पढ़ाई करनी चाहिए जो खतरनाक हालत में हैं? सभी में सुधार होने दीजिए। इस (योजना) से उन्हें (बच्चों को) लाभ होने दीजिए।’’
उनकी यह प्रतिक्रिया केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के एक प्रमुख सहयोगी भाकपा द्वारा राज्य के सामान्य शिक्षा विभाग के पीएम श्री स्कूल योजना में शामिल होने के फैसले को लेकर प्रमुख सहयोगी माकपा के ख़िलाफ़ विद्रोह करने के एक दिन बाद आई है।
भाकपा के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने कहा था कि पार्टी और एलडीएफ के अन्य घटकों को इस फ़ैसले के बारे में "अंधेरे में" रखा गया था। उन्होंने इस कदम को "मोर्चे के सामूहिक अनुशासन का उल्लंघन" बताया।
हालांकि, केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने इस योजना पर हस्ताक्षर करने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि यह राज्य की शिक्षा नीतियों की रक्षा करते हुए केंद्रीय धन सुरक्षित करने का एक रणनीतिक कदम था।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि पीएम श्री पर हस्ताक्षर करने का मतलब यह नहीं है कि केरल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2022 को स्वीकार कर लिया है, जिसका वाम दल लंबे समय से विरोध कर रहे हैं।