ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओश्फैरेल ने लोकतंत्र की जननी वैशाली का दुनिया में बजाया डंका

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 14-10-2022
ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओश्फैरेल ने लोकतंत्र की जननी वैशाली का दुनिया में बजाया डंका
ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओश्फैरेल ने लोकतंत्र की जननी वैशाली का दुनिया में बजाया डंका

 

सेराज अनवर / पटना

भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी रॉबर्ट ओश्फैरेल दो दिनों के बिहार भ्रमण पर आए तो उन्होंने भारतीय लोकतंत्र की खुले दिल से तारीफ की. इस बीच मधुबनी से वैशाली पहुंच कर बैरी ने लोकतंत्र की जन्नी वैशाली स्थित बौद्ध स्तूप के साथ तस्वीर भी ट्वीट किया.

इस तस्वीर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए उन्होंने लिखा, भारत सभी लोकतंत्र की जननी है.बिहार में वैशाली वह जगह है जहां यह सब शुरू हुआ-छठी शताब्दी ईसा पूर्व में दुनिया का पहला गणतंत्र. लोकतांत्रिक मूल्य हमारी आधारशिला है.

बैरी के इस ट्वीट को निरंतर लोग रिट्विट कर रहे हैं. अब तक हजारों लोगों ने इसे रिट्वीट किया है.बिहार के बहुत सारे लोगों ने बैरी के वैशाली भ्रमण का स्वागत किया है.लोकतंत्र की जन्नी संबंधित जानकारी को उनके देश ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में भी पसंद किया गया.बैरी मधुबनी भी गए .वहां उन्होंने सुजनी कला को देखा.

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कौन हैं बैरी ओश्फैरेल ?

बैरी रॉबर्ट ओश्फैरेल एक पूर्व ऑस्ट्रेलियाई राजनेता हैं,जो मई 2020से भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त के पद पर कार्यरत हैं. ओश्फेरेल 2011से 2014तक न्यू साउथ वेल्स के 43वें प्रीमियर और पश्चिमी सिडनी के मंत्री रहे.

2007 से 2014 तक न्यू साउथ वेल्स लिबरल पार्टी के नेता रहे. 1995 से 2015 तक न्यू साउथ वेल्स विधान सभा के सदस्य भी रहे .1999 तक नॉर्थकॉट का प्रतिनिधित्व करते और ऊपरी उत्तरी तट पर कू-रिंग-गाई का प्रतिनिधित्व करते थे.वह वर्तमान में मधुमेह ऑस्ट्रेलिया, स्वतंत्र बोर्ड व वेस्ट टाइगर्स रग्बी लीग फुटबॉल क्लब के अध्यक्ष और रेसिंग ऑस्ट्रेलिया लिमिटेड के सीईओ हैं.

बैरी के ट्वीट पर आभार

बैरी ओश्फैरेल के भारतीय गणतंत्र की सराहना करने पर गर्मजोशी से स्वागत किया जा रहा है.कई यूजर ने बैरी का आभार व्यक्त किया है.तरह-तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है.अंकित आनंद लिखते हैं, कम से कम आप वैशाली शांति स्तूप और अन्य एएसआई स्थलों की दयनीय स्थिति को उजागर करें..

भानू भारतीय कहते हैं कि धन्यवाद बैरी आने के लिए वैशाली बिहार जो दुनिया का पहला गणतंत्र है, छठी शताब्दी ईसा पूर्व में शुरू हुआ.आम्रपाली जो इतनी सुंदर थी, वैशाली की खातिर उसने वैशाली की दुल्हन बनना स्वीकार किया.

आर्यावर्त नाम से एक यूजर ने लिखा, लेकिन दुख की बात है कि वैशाली को राज्य और भारत सरकार दोनों द्वारा सबसे ज्यादा नजरअंदाज किया जाता है.भारत में लोग बिहार को तभी याद करते हैं, जब इतिहास की बात आती है.अन्यथा यह एक अवांछित स्थिति है.

शांडिल्य काजल सिंह ने लिखा,मेरे गांव वैशाली और राज्य के ऐतिहासिक स्थान को दुनिया भर में बढ़ावा देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सर.कई अन्य यूजर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.

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वैशाली का इतिहास ?

पूरी दुनिया को लोकतंत्र का ज्ञान देने वाली इस भूमि का इतिहास ईसा से 725 वर्ष पुराना है, जब यहां लिच्छवी गणतंत्र था.इसे वज्जि संघ कहा जाता था.इसकी केंद्रीय कार्यपालिका में एक गणपति यानी राजा, उपराजा, सेनापति तथा भंडागारिक होते थे.

ये ही शासन का कार्य देखते थे.पूरी व्यवस्था बिलकुल आज के संसद की तरह थी.वास्तव में सारी दुनिया ने लोकतंत्र की प्रेरणा यहीं से ली. महात्मा बुद्ध भी वैशाली के इस वज्जि संघ से बहुत प्रभावित थे. वैशाली को प्रतिनिधियों की एक विधिवत चुने विधानसभा और कुशल प्रशासन के लिए विश्व का पहला गणराज्य होने का श्रेय दिया जाता है.

वैशाली के कई संदर्भ जैन धर्म और बौद्ध धर्म से संबंधित ग्रंथों में पाए जाते हैं, जिसमें वैशाली और अन्य महाजनपदों के बारे में जिक्र है. इन ग्रंथों के आधार पर, वैशाली को गणराज्य के रूप में 6वीं शताब्दी ई.पू. तक गौतम बुद्ध के जन्म से पहले 563में स्थापित किया गया था, जिससे यह विश्व का पहला गणतंत्र बना.

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ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त क्यों आए थे बिहार ?

बैरी ओश्फैरेल ने बिहार के मधुबनी में सुजनी कला के बारे में सुना तो उसे देखने की चाहत बढ़ गई.सुजनी कला के बारे में बहुत कुछ सुनने के बाद उन्होंने इसे देखने की इच्छा जाहिर की .बुधवार को मधुबनी से मुजफ्फरपुर जाने के दौरान रास्ते में शर्फुद्दीनपुर में रुक कर जीविका दीदियां द्वारा चलाए जा रहे सुजनी कला  केन्द्र का अवलोकन किया.

उच्चायुक्त को प्रसिद्ध सुजनी निर्माण कला की गतिविधियों से अवगत कराने का मुकम्मल प्रशासनिक इंतजाम किया गया था.शर्फुद्दीनपुर में 2010 से सुजनी क्लस्टर स्थापित है.इससे फिलहाल 37 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. ऐसा जीविका के सहयोग से हो पाया है.

यहां के उत्पाद देश के महानगरों दिल्ली, मुंबई आदि में काफी लोकप्रिय हैं.सुजनी कला कार्य से जुड़ कर गांव की सैकड़ों महिलाओं ने न केवल अपना जीवन बदला, वो हर दिन एक नई मिसाल कायम करने में लगी हुई हैं. ऐसी महिलाओं की सफलता की कहानी गांव की गलियारों से निकलकर विदेशी सरहद के पार पहुंच गई है.

 

यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त  यहां पहुंचे. उन्हांेने पीजी में बने सभी उत्पादों को देखा और उसकी काफी प्रशंसा भी की.ऑस्ट्रेलियन हाई कमिश्नर ने इस दौरान पीजी में बने उत्पाद बिहार के प्रसिद्ध लिट्टी चोखा एवं लस्सी का भी आनंद लिया.

सुजनी कला से पर्दा, सलवार-सूट, दुपट्टा, स्टॉल व साड़ी बनाई जाती है. जीविका ने इन महिलाओं के उत्पाद की बिक्री के लिए एक निजी कंपनी से करार किया हुआ है, जो दिल्ली, मुंबई, गुजरात भेजती है. गुरुवार को उन्होंने वैशाली का दौरा किया और लोकतंत्र की जननी से रूबरू हुए.