स्मिता भट्टाचार्य / जोरहाट
गीत-संगीत में कोई बाधा नहीं है. मुस्लिम भक्ति गीत ‘ ‘ जिक्र ’’ प्रतियोगिता में हिंदू लड़कियों के समूह ने प्रथम पुरस्कार जीता और हिंदू देवताओं की स्तुति ‘बोरगीत’ प्रतियोगिता में मुस्लिम लड़कियों ने भी भाग लिया. इस तरह जोरहाट शेष भारत के लिए मार्ग दिखा सकता है कि गीत-संगीत किस तरह धार्मिक अंतराल के बीच कैसे पुल का काम कर सकते हैं.
यहां सेंट्रल क्लब में प्रगतिशील महिला परिषद द्वारा आयोजित एक बोरगीत और जिकिर प्रतियोगिता में दो हिंदू बालिका मंडलों को उत्कृष्ट देखा गया. मुस्लिम भक्ति गीत जिकिर ज्यादातर धार्मिक सभाओं में गाए जाते हैं. यहां मुस्लिम लड़कियों ने बोरगीत गाने का प्रयास किया, जो श्रीमंत शंकरदेव की नव-वैष्णव संस्कृति का एक हिस्सा हैं.
बोऱगीत भगवान की स्तुति में गीत की एक ऐसी शैली है, जिसे पहली बार 15 वीं शताब्दी के धार्मिक और समाज सुधारक श्रीमंत शंकरदेव द्वारा रचित और गाया गया था.
दूसरी ओर, ‘ जिक्र ’, एक लोक आधार के साथ भक्ति गीत हैं, जो 17वीं शताब्दी के सूफी संत और मानवतावादी अजान पीर द्वारा रचित हैं. जो बगदाद से आए थे और असम को अपने घर के रूप में अपनाया था.
रुली बोरठाकुर और परिणीता बरुआ नियोग के नेतृत्व में दो हिंदू मंडलों ने हिजाब (मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला सिर का दुपट्टा) पहना था और आयोजकों ने उन्हें नाम कीर्तन के दौरान पहने जाने वाले पारंपरिक असमिया गमछा (दुपट्टा) भी पहनने के लिए कहा.
रूली बोरठाकुर का समूह ‘ जिक्र ’ गायन करता हुआ
मालो अली हायर सेकेंडरी स्कूल की शिक्षिका रूली बोरठाकुर ने कहा कि उनकी मंडली ने 2019 में भी ‘ जिक्र ’ प्रतियोगिता में ट्रॉफी जीती थी. इस वर्ष की मंडली की सदस्य परणीता देवी बरुआ, मेघाली देवी, पोरी बोरदोलोई, गीतिमाला शर्मा और बीना पुजारी थीं.
बोरठाकुर ने कहा, ‘यह बहुत मजेदार था. प्रगतिशील महिला परिषद की अध्यक्ष अरेसा बेगम ने हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्होंने हम सभी को मुस्लिम नाम भी दिया.’
बोरठाकुर ने कहा कि इस साल जिन आठ टीमों ने चुनाव लड़ा था, उनमें से उन्हें परिणीता की टीम के साथ संयुक्त विजेता के रूप में चुना गया, नजीरा से होरू सुवालिर ग्रुप दूसरे स्थान पर और एक अन्य टीम ने तीसरे स्थान पर रही. 4000 रुपये की इनामी राशि इस बार दो टॉपर्स ने बांटी.
बोरठाकुर ने कहा, ‘ ‘ जिक्र ’ के विशेषज्ञ अजीमुद्दीन अहमद ने हमारी मदद की. उन्होंने हमें फोन पर प्रस्तुति, तालमेल, ताल और स्वर की कला सिखाई. अगर वे ऐसा नहीं करते, तो पहला पुरस्कार प्राप्त करना मुश्किल होता.’
परणीता बरुआ का समूह ‘ जिक्र ’ गायन करता हुआ
परिणीता बरुआ नियोग, जो खुद एक रेडियो कलाकार हैं, जो बोड़गीत और आधुनिक गीत गाने में उत्कृष्ट हैं और जिकिर में पारंगत हैं, उनके पास पहले से ही एक मंडली थी, जो दीहानम गाती थी.
उन्होंने कहा, ‘जब मैंने तय किया कि हमें इसमें शामिल होना चाहिए, तो मैंने उन्हें ‘ जिक्र ’ की सभी बारीकियां सिखाईं, जो मैंने शिवसागर में अपने कॉलेज के दिनों में सीखी थीं. वे तेज थी और हम संयुक्त रूप से प्रथम पुरस्कार जीतने में सक्षम रहीं.’
नियोग ने कहा कि बोरठाकुर की तरह उनकी मंडली का भी दिल से स्वागत किया गया और ‘ जिक्र ’ गाते समय उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. उनकी टीम में जूली गोस्वामी, मौसमी जीली भुइयां, मुरसाना चेतिया और पल्लबी दत्ता शामिल थे.
प्रगतिशील महिला परिषद की अध्यक्ष अरेसा बेगम ने कहा कि परिषद ने लगभग चार साल पहले जिकिर प्रतियोगिता शुरू की थी, भक्ति गीत की इस शैली को जीवित रखने की उम्मीद में यह तीसरा संस्करण था.
उन्होंने कहा, ‘इस साल हमने अपने हिंदू भाइयों तक पहुंचने के लिए ‘ जिक्र ’ प्रतियोगिता में बोड़गीत को जोड़ा. हम यह दिखाना चाहते थे कि हिंदू भक्ति गीत हमारी योजनाओं में एक समान स्थान पाते हैं. हम यह साबित करना चाहते थे कि अन्य धर्मों के भक्ति गीत भी हैं, उन्हें गले लगाया जा सकता है और सभी के द्वारा गाया जा सकता है.’
अरेसा बेगम जोरहाट महानगर कवि सम्मेलन की अध्यक्ष भी हैं और असम साहित्य सभा की पूर्व उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने आगे कहा कि ऊपरी असम में उन्हें हिंदुओं में मुस्लिमों के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है, लेकिन अन्य हिस्सों में रवैये में बदलाव है.