भारत-पाक तनाव पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड: आतंकवाद की निंदा, शांति और संवाद पर बल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 09-05-2025
All India Muslim Personal Law Board on India-Pakistan tension: Condemnation of terrorism, emphasis on peace and dialogue
All India Muslim Personal Law Board on India-Pakistan tension: Condemnation of terrorism, emphasis on peace and dialogue

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एक अहम और जिम्मेदाराना रुख अपनाते हुए आतंकवाद की कड़ी निंदा की है और सरकार द्वारा देश की सुरक्षा के लिए उठाए गए आवश्यक कदमों का समर्थन किया है. बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि इस्लाम और आतंकवाद का कोई संबंध नहीं है और युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकता.
 
विशेष ऑनलाइन बैठक में लिया गया निर्णय

8 मई को आयोजित एक विशेष ऑनलाइन बैठक में बोर्ड के शीर्ष पदाधिकारियों ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर मौजूदा हालात पर गंभीर चिंता जताई और एक संयुक्त प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में कहा गया:“ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश की रक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए सभी जरूरी कदमों का समर्थन करता है। यह समय एकता और सहयोग का है—सभी नागरिकों, राजनीतिक दलों, सशस्त्र बलों और सरकार को एकजुट होकर खतरों का सामना करना चाहिए.”
 
आतंकवाद की स्पष्ट निंदा

बोर्ड ने आतंकवाद को इंसानियत और इस्लामी शिक्षाओं के खिलाफ करार देते हुए कहा:“आतंकवाद और उसके परिणामस्वरूप निर्दोष नागरिकों की मौत एक गंभीर समस्या है. इस्लामी सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय मान्यताओं और मानवीय मूल्यों में आतंक के लिए कोई स्थान नहीं है.”
 
युद्ध नहीं, संवाद ही समाधान

बोर्ड ने दोनों देशों को संयम बरतने और कूटनीति के रास्ते पर चलने की सलाह दी. प्रस्ताव में जोर दिया गया कि:“युद्ध, खासकर परमाणु हथियारों की मौजूदगी में, किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. भारत और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को आपसी मसलों का समाधान संवाद और शांतिपूर्ण कूटनीति के ज़रिए करना चाहिए. युद्ध केवल दोनों देशों के नागरिकों को पीड़ा देगा.”
 
सार्वजनिक कार्यक्रम स्थगित, शांति संवाद जारी

बोर्ड ने मौजूदा हालात को देखते हुए 16 मई तक अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों और सभाओं को स्थगित करने का निर्णय लिया है. हालांकि, गोलमेज बैठकों, अंतरधार्मिक संवादों, मस्जिदों में भाषण, प्रशासन को ज्ञापन और प्रेस कॉन्फ्रेंस जैसे इनडोर कार्यक्रम पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चलते रहेंगे. बोर्ड ने यह भी दोहराया कि औकाफ (वक्फ संपत्तियों) की सुरक्षा के लिए चलाए जा रहे अभियान को किसी हाल में रोका नहीं जाएगा. इस प्रस्ताव पर बोर्ड के अध्यक्ष और वरिष्ठ पदाधिकारियों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें शामिल हैं:
 
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, अध्यक्ष

 
मौलाना सैयद अरशद मदनी, उपाध्यक्ष व अध्यक्ष, जमीयत उलेमा-ए-हिंद
 

मौलाना ओबैदुल्लाह खान आज़मी, उपाध्यक्ष

 
श्री सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी, उपाध्यक्ष एवं अमीर, जमात-ए-इस्लामी हिंद
 

मौलाना असगर इमाम महदी सलाफ़ी, उपाध्यक्ष
 

मौलाना मुहम्मद अली मोहसिन तकवी, उपाध्यक्ष व इमाम, कश्मीरी गेट मस्जिद

 
मौलाना मुहम्मद फजल-उर-रहीम मुज्जद्दी, महासचिव
 
 
मौलाना सैयद बिलाल अब्दुल हई होस्नी, सचिव

 
मौलाना मुहम्मद उमरीन महफूज रहमानी, सचिव
 

मौलाना डॉ. यासीन अली उस्मानी बदायूंनी, सचिव
 

डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास, वरिष्ठ सदस्य

 
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का यह रुख न केवल एक सांप्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रभक्ति की मिसाल है, बल्कि यह दिखाता है कि देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए मुस्लिम समाज भी बराबर की हिस्सेदारी और जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार है. ऐसे समय में जब सीमाओं पर तनाव चरम पर है, बोर्ड का यह संदेश शांति, संयम और सह-अस्तित्व की राह को आगे बढ़ाने वाला है.