आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अदाणी समूह ने महाराष्ट्र के तटीय कोंकण क्षेत्र में दिघी बंदरगाह परियोजना में 42,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। सरकारी अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
एक अधिकारी ने बताया कि समूह की प्रमुख इकाई अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनमिक ज़ोन (एपीएसईज़ेड) द्वारा संचालित दिघी पोर्ट्स ने बंदरगाह के विस्तार और संबंधित गतिविधियों के लिए 42,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश करने को महाराष्ट्र सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह निवेश भारत समुद्री सप्ताह के उद्घाटन के अवसर पर सरकार द्वारा हस्ताक्षरित 56,000 करोड़ रुपये से अधिक के 15 समझौतों का हिस्सा है।
अडाणी समूह की नई प्रतिबद्धता का सटीक विवरण तुरंत ज्ञात नहीं है।
दूसरे सबसे अमीर भारतीय, गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले समूह ने वर्ष 2021 में 705 करोड़ रुपये की विजयी बोली लगाकर दिवालिया हो चुके दिघी बंदरगाह परियोजना का अधिग्रहण किया था और उस समय इसके विस्तार के लिए 10,000 करोड़ रुपये का और निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई थी।
फडणवीस ने कहा कि इंडिया मैरीटाइम वीक के दौरान हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) बंदरगाह और सहायक गतिविधियों के विस्तार, शिपयार्ड के विकास और प्रौद्योगिकी सहित कई पहलुओं पर केंद्रित हैं। उन्होंने निवेश की समयसीमा का उल्लेख नहीं किया।
केंद्र सरकार सोमवार इस कार्यक्रम में 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
फडणवीस ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, (महाराष्ट्र द्वारा हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों में) 56,000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है।’’
उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि सभी समझौता ज्ञापनों के साथ, हम महाराष्ट्र को भारत की एक समुद्री महाशक्ति बनाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।’’ उन्होंने प्रमुख समझौतों की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख किया।
फडणवीस ने बताया कि सोमवार को हस्ताक्षरित समझौतों में दिघी बंदरगाह के विस्तार के लिए अदाणी समूह की एक इकाई के साथ समझौता और केंद्र सरकार के साथ बंदरगाह के आसपास एक बहुत बड़ा औद्योगिक क्षेत्र विकसित करना शामिल है।
फडणवीस ने कहा कि जेएसडब्ल्यू समूह ने जयगढ़ बंदरगाह पर अपनी सुविधा का विस्तार करने के लिए 3,709 करोड़ रुपये निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने बताया कि 700 किलोमीटर लंबी तटरेखा वाले बंदरगाहों पर विस्तार गतिविधियाँ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण के व्यापक उद्देश्य में मदद करेंगी।