औषधीय गुणों से भरपूर हैं 'सदा सुहागन', शुगर-अस्थमा समेत इन रोगों में है कारगर

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 19-03-2025
'Sada Suhagan' is full of medicinal properties, effective in these diseases including sugar-asthma
'Sada Suhagan' is full of medicinal properties, effective in these diseases including sugar-asthma

 

नई दिल्ली. ‘देखन में छोटन लगे...’ बिहारी सतसई की ये सुप्रसिद्ध पंक्तियां छज्जे, सड़क के किनारे आसानी से उगने वाले छोटे-छोटे सफेद और गुलाबी चमकते फूलों पर एकदम सटीक बैठती है, जी हां! हम बात कर रहे हैं प्रकृति के दिए नायाब तोहफे सहा सुहागन या सदा बहार के बारे में. अनगिनत औषधीय गुणों से भरपूर सदा सुहागन को आयुर्वेद में खास स्थान प्राप्त है. 

सदा सुहागन मधुमेह, अस्थमा, रक्तचाप के लिए तो काल समान है. आयुर्वेद के विशेषज्ञ बताते हैं कि जैसा इसका नाम है, वैसा ही इसका काम है. सदा सुहागन या जो हमेशा खिला रहता है, यह सर्दी, गर्मी, बरसात और बसंत समेत हर महीने में खिला रहता है. यह शरीर को निरोग रखने और बीमारियों पर प्रहार करने में माहिर है.

औषधीय गुणों से भरपूर सदा सुहागन की पत्तियों को सुबह खाली पेट चबाने से कई लाभ मिलते हैं.

पंजाब स्थित बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के बीएएमएस, एमडी डॉक्टर प्रमोद आनंद तिवारी ने सदा सुहागन के गुणों, उसके महत्व और फायदे पर बात की. उन्होंने छोटे-छोटे फूलों के बारे में बताया, “सदाबहार के फूल की पत्तियां औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं और इसे आयुर्वेद में सदापूषा के नाम से जाना जाता है. सदाबहार की जड़ों, छालों और पत्तियों के साथ ही फूलों में भी कई गुण होते हैं. इसकी जड़ें इंसुलिन प्रोडक्शन को बढ़ाती हैं, जिससे मधुमेह के मरीज को राहत मिलती है."

उन्होंने बताया, "मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर मैनेज होता है. पत्तियों का रोज सुबह खाली पेट सेवन करने से मधुमेह तो कंट्रोल होता ही है, बल्कि अस्थमा के रोगियों को भी काफी राहत मिलती है.“

डॉक्टर तिवारी ने बताया कि सदापूषा में एल्कलॉइड नाम का तत्व पाया जाता है, जिससे इंसुलिन का निर्माण होता है. इसके अलावा इसका कई औषधियों को बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है. यदि आपका रक्तचाप अक्सर गड़बड़ रहता है, तो आपको सदासुहागन की चार से पांच पत्तियों का सेवन जरूर करना चाहिए, इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो उसे नियंत्रित करते हैं और इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.”

डॉक्टर प्रमोद ने सदा सुहागन को कैसे खाना चाहिए, इस पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने बताया, “सुबह खाली पेट इसकी चार से पांच पत्तियों को चबाना चाहिए. यदि आप फूलों या पत्तियों का सेवन गर्म पानी के साथ करते हैं, तो और भी फायदेमंद होता है. इसका पाउडर भी बाजार में मिलता है, जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है.”

डॉक्टर प्रमोद ने कहा, "आज की लाइफस्टाइल काफी तनाव भरी हो गई है, परिणामस्वरूप अनिद्रा या नींद ना आने की समस्या आम सी बात बन गई है, जो कई बड़े रोगों का कारण है. ऐसे में सदासुहागन का इस्तेमाल बेहद लाभदायी होता है. सांस संबंधित समस्याओं या मधुमेह के साथ ही पाचन संबंधित समस्याओं के लिए भी आयुर्वेदाचार्य सदासुहागन के इस्तेमाल की सलाह देते हैं. इसके पत्तों का काढ़ा सर्दी, खांसी और बुखार से राहत देता है. इसके अलावा दांत और मसूड़ों की समस्याओं में भी राहत देता है.