रूस बच्चे पैदा करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दे रहा, विश्व में ‘प्रोनेटालिज्म’ क्यों बढ़ रहा ?

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 05-07-2025
Russia is giving financial incentives for having children, why is 'pronatalism' increasing in the world?
Russia is giving financial incentives for having children, why is 'pronatalism' increasing in the world?

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

रूस के कुछ भागों में गर्भवती होने वाली स्कूली छात्राओं को बच्चों को जन्म देने और उनके पालन-पोषण के लिए 100,000 रूबल से अधिक का भुगतान किया जा रहा है.
 
पिछले कुछ महीनों में दस क्षेत्रों में शुरू की गई यह नयी पहल रूस की नयी जनसांख्यिकीय रणनीति का हिस्सा है, जो मार्च 2025 में अपनाई गई नीति को व्यापक बनाती है और यह केवल वयस्क महिलाओं पर लागू होती है. देश की जन्म दर में नाटकीय गिरावट के मद्देनजर इस योजना को तैयार किया गया है. ‘प्रोनेटालिज्म’ एक नीति है जो बच्चों को जन्म देने को प्रोत्साहित करती है.
 
रूस में, जन्म दर को बढ़ावा देने और गिरती जनसंख्या को रोकने के लिए ‘प्रोनेटालिज्म’ नीतियां लागू की जा रही हैं. इन नीतियों में वित्तीय प्रोत्साहन, जैसे कि स्वस्थ बच्चे के जन्म पर नकद भुगतान और मातृत्व लाभ शामिल हैं. वर्ष 2023 में रूस में प्रति महिला जन्म देने वाले बच्चों की संख्या 1.41 थी - जो 2.05 से काफी कम है, जो कि जनसंख्या को उसके वर्तमान आकार में बनाए रखने के लिए आवश्यक स्तर है.
 
रूस में किशोर लड़कियों को स्कूल में रहते हुए बच्चे पैदा करने के लिए पैसे देना विवादास्पद मुद्दा है. रूसी जनमत अनुसंधान केंद्र के हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 43 प्रतिशत रूसी इस नीति का समर्थन करते हैं, जबकि 40 प्रतिशत इसके विरोध में हैं.लेकिन यह इस बात का संकेत है कि यह देश बच्चों की संख्या बढ़ाने को उच्च प्राथमिकता देता है.
 
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बड़ी आबादी को एक समृद्ध महाशक्ति का प्रतीक मानते हैं, साथ ही विशाल (और बढ़ते) क्षेत्र पर नियंत्रण और एक शक्तिशाली सैन्य शक्ति भी मानते हैं. हालांकि, विरोधाभासी बात यह है कि यूक्रेन पर हमला करके और उसके क्षेत्र को अवैध रूप से हड़पकर रूस के भौतिक आकार को बढ़ाने के उनके प्रयास, रूस की जनसंख्या को कम करने के मामले में भी विनाशकारी रहे हैं.
 
कुछ अनुमानों के अनुसार युद्ध में मारे गए रूसी सैनिकों की संख्या 250,000 तक पहुंच गई है, जबकि युद्ध के कारण कुछ सर्वाधिक शिक्षित रूसी लोगों को लाखों की संख्या में पलायन करना पड़ा. ऐसा अनुमान है कि 2050 तक दुनिया के तीन-चौथाई से अधिक देशों में प्रजनन दर इतनी कम हो जाएगी कि वे अपनी जनसंख्या को बनाए रखने में सक्षम नहीं होंगे.