आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी हेल्थ साइंस सेंटर के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक बहु-विषयक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि एस्ट्रोजन हार्मोन, विशेष रूप से एस्ट्राडियोल और एस्ट्रियोल, प्रगतिशील मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) के इलाज में सहायक हो सकते हैं। यह बीमारी तंत्रिका तंत्र से जुड़ी एक गंभीर स्थिति है, जिसमें मरीज के लक्षण समय के साथ बढ़ते जाते हैं और मौजूदा उपचार सीमित हैं।
अध्ययन में शामिल न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. फ्रांसिस्को पी. गोमेज़ के अनुसार, प्रगतिशील एमएस बेहद चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यह लगातार बढ़ती रहती है और इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। एमएस तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मायलिन शीथ (तंत्रिका तंतुओं की सुरक्षा परत) पर हमला करती है, जिससे शरीर के अलग-अलग हिस्सों के बीच विद्युत संकेतों का संचार बाधित हो जाता है।
जर्नल ऑफ न्यूरोइम्यूनोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने वायरस मॉडल का उपयोग करके इन हार्मोनों के प्रभाव का मूल्यांकन किया। अध्ययन की सह-लेखक डॉ. जेन वेल्श ने बताया कि हाल के वर्षों में यह पाया गया है कि एप्सटीन-बार वायरस (EBV) एमएस को ट्रिगर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
अन्य सह-लेखक डॉ. कैंडिस ब्रिंकमेयर-लैंगफोर्ड ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है और इसी दौरान एमएस के लक्षणों में कमी देखी जाती है। यहां तक कि जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं, उनमें भी लक्षण हल्के रहते हैं।
अध्ययन में पाया गया कि एस्ट्राडियोल और एस्ट्रियोल दोनों ही रीढ़ की हड्डी में सूजन को कम करते हैं, लेकिन एस्ट्राडियोल मायलिन शीथ की क्षति को रोकने में अधिक प्रभावी साबित हुआ। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से भविष्य में हार्मोन-आधारित उपचारों के विकास का रास्ता खुल सकता है।