कफ सिरप से मौतें: कोल्ड्रिफ निर्माता के खिलाफ जांच में टीएनएफडीए की खामियां उजागर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 11-10-2025
Cough syrup deaths: Probe against Coldrif manufacturer exposed lapses by TNFDA
Cough syrup deaths: Probe against Coldrif manufacturer exposed lapses by TNFDA

 

नई दिल्ली
 
मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से जुड़े कोल्ड्रिफ कफ सिरप के कांचीपुरम स्थित निर्माता के खिलाफ जाँच में तमिलनाडु खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा बुनियादी नियामक मानदंडों को लागू करने में की गई चूक सामने आई है, सीडीएससीओ के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
 
उन्होंने बताया कि तमिलनाडु खाद्य एवं औषधि प्रशासन (टीएनएफडीए) द्वारा 2011 में लाइसेंस प्राप्त श्रीसन फार्मा ने अपने खराब बुनियादी ढांचे और राष्ट्रीय औषधि सुरक्षा नियमों के कई उल्लंघनों के बावजूद एक दशक से भी अधिक समय तक बिना किसी रोक-टोक के काम करना जारी रखा।
 
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा हाल ही में किए गए निरीक्षण में इकाई की दयनीय स्थिति और अच्छे विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) का पूर्ण रूप से पालन न करने का खुलासा हुआ।
 
एक सूत्र ने कहा, "सीडीएससीओ श्रीसन फार्मा के किसी भी ऑडिट में शामिल नहीं रहा है। चूँकि सीडीएससीओ इसमें शामिल नहीं था और राज्य एफडीए ने सीडीएससीओ को इस कंपनी के बारे में किसी भी तरह से सूचित नहीं किया था, इसलिए यह कंपनी सीडीएससीओ के किसी भी डेटाबेस का हिस्सा नहीं थी।"
 
टीएनएफडीए के अधिकारियों से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका।
 
सीडीएससीओ के एक अन्य सूत्र ने बताया कि डी एंड सी नियमों के नियम 84एबी के अनुसार, निर्माताओं को अपने सभी स्वीकृत उत्पादों को 'सुगम' पोर्टल पर अपडेट करना आवश्यक है।
 
बेहतर निगरानी के लिए देश में सभी स्वीकृत उत्पादों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने हेतु इस नियम को अधिसूचित किया गया था।
 
सूत्र ने कहा, "कंपनी ने अपने उत्पादों को डेटाबेस में पंजीकृत नहीं कराया। इस प्रकार, उसने इस नियम का पालन नहीं किया। राज्य में इस नियम को लागू करवाना राज्य नियामक की ज़िम्मेदारी है।"
 
इसके अलावा, दवा निर्माताओं का एक केंद्रीकृत डेटाबेस बनाने के इरादे से, सीडीएससीओ ने अक्टूबर 2023 में सभी निर्माताओं और टीएनएफडीए को एक संदेश भेजा, जिसमें उनसे एक गूगल फॉर्म के माध्यम से अपनी जानकारी साझा करने का अनुरोध किया गया था।
 
इसके बाद, राज्य एफडीए के साथ हर मासिक समीक्षा बैठक और अन्य बातचीत में इस बात को दोहराया गया। हालाँकि, सूत्र ने कहा कि इस अभियान के दौरान न तो श्रीसन फार्मा ने पंजीकरण कराया और न ही राज्य एफडीए ने निर्माता को इसमें शामिल होने में मदद की।
 
सूत्र ने बताया कि टीएनएफडीए ने अपने मध्य प्रदेश समकक्ष के अनुरोध पर 1 और 2 अक्टूबर को श्रीसन फार्मा का ऑडिट किया, लेकिन यह जानकारी सीडीएससीओ मुख्यालय या क्षेत्रीय कार्यालय के साथ साझा नहीं की गई।
 
छिंदवाड़ा में प्रभावित बच्चों द्वारा सेवन की गई दवाओं की आपूर्ति करने वाली सभी इकाइयों का जोखिम-आधारित निरीक्षण (आरबीआई) करने की सक्रिय पहल के तहत, सीडीएससीओ की टीम 3 अक्टूबर की सुबह श्रीसन फार्मा का संयुक्त आरबीआई निरीक्षण करने गई।
 
सूत्र ने कहा, "चूँकि यह एक संयुक्त निरीक्षण था, इसलिए एक व्यवस्था के रूप में, टीम ने टीएनएफडीए के औषधि निरीक्षक को इसमें शामिल होने के लिए बुलाया। दुर्भाग्य से, कई अनुरोधों के बावजूद, वे शामिल नहीं हुए। सीडीएससीओ ने स्वयं ऑडिट किया और विनिर्माण लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश भेजी।"
 
टीएनएफडीए ने श्रीसन फार्मा से कोल्ड्रिफ कफ सिरप के नमूने और विश्लेषण के बारे में भी सीडीएससीओ को सूचित नहीं किया।
 
सीडीएससीओ को इस विश्लेषण के बारे में तब पता चला जब टीएनएफडीए ने 3 अक्टूबर की देर शाम को विश्लेषण के नतीजे सार्वजनिक रूप से जारी किए, जिसमें बताया गया कि उत्पाद में डीईजी की मात्रा 48 प्रतिशत थी, जबकि स्वीकार्य सीमा 0.1 प्रतिशत है।
 
सूत्र ने कहा, "टीएनएफडीए की ओर से इस सूचना को छुपाने से टीएनएफडीए, एमपीएफडीए और सीडीएससीओ द्वारा परिणाम साझा करने को लेकर व्यवस्था में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।"
 
सूत्रों के अनुसार, सीडीएससीओ ने 4 अक्टूबर को टीएनएफडीए को पत्र लिखकर कहा कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, श्रीसम फार्मा का विनिर्माण लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए और उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू करने पर विचार किया जाना चाहिए।
 
सूत्र ने कहा, "इस संबंध में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मध्य प्रदेश पुलिस ने ही 8 अक्टूबर को श्रीसम फार्मा के मालिक को गिरफ्तार किया था।"
 
इससे पहले, सीडीएससीओ ने एक केंद्रीय टीम के साथ छिंदवाड़ा का दौरा किया था, जिसे शहर और नागपुर में तैनात किया गया था।
 
27 सितंबर के दौरे के दौरान, सीडीएससीओ ने छिंदवाड़ा से छह और एमपीएफडीए ने 13 नमूने लिए। ये 19 नमूने 19 अलग-अलग दवाओं के थे, जिनका सेवन समान लक्षणों वाले अस्पताल में भर्ती बच्चों ने किया था।
 
इन नमूनों में कफ सिरप, एंटीबायोटिक्स, एंटीपायरेटिक्स और ओंडांसेट्रॉन आदि शामिल थे।
 
शुक्रवार को, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई ताकि दवा गुणवत्ता मानदंडों के अनुपालन की समीक्षा की जा सके और कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके, खासकर बाल रोगियों में।
 
बैठक में, इस संबंध में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया।
 
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि श्रीसन फार्मा न तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जीएमपी प्रमाणित है और न ही संशोधित अनुसूची एम की आवश्यकताओं को पूरा करती है, जैसा कि 28 दिसंबर, 2023 के राजपत्र अधिसूचना में आवश्यक है।