Research reveals: Obesity can increase Alzheimer's, particles released from fat cause brain damage.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अमेरिका के ह्यूस्टन मेथोडिस्ट के वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है—मोटापा न केवल शरीर बल्कि मस्तिष्क के लिए भी घातक साबित हो सकता है। नए शोध में पता चला है कि शरीर की चर्बी से निकलने वाले सूक्ष्म संदेशवाहक (एक्स्ट्रासेल्युलर वेसिकल्स) अल्ज़ाइमर रोग को सीधे बढ़ावा दे सकते हैं। ये वेसिकल्स रक्त-मस्तिष्क अवरोध (ब्लड-ब्रेन बैरियर) को पार कर मस्तिष्क तक पहुंचते हैं और वहां एमिलॉयड-बी प्लाक्स के जमाव को तेज करते हैं, जो अल्ज़ाइमर रोग का प्रमुख कारण माने जाते हैं।
यह अध्ययन “डीकोडिंग एडिपोज-ब्रेन क्रॉसटॉक: डिसटिंक्ट लिपिड कार्गो इन ह्यूमन एडिपोज-डेराइव्ड एक्स्ट्रासेल्युलर वेसिकल्स मॉड्युलेट्स एमिलॉयड एग्रीगेशन इन अल्ज़ाइमर डिजीज” शीर्षक से अल्ज़ाइमर एंड डिमेंशिया: द जर्नल ऑफ द अल्ज़ाइमर एसोसिएशन में प्रकाशित हुआ है। शोध का नेतृत्व प्रोफेसर स्टीफन वोंग ने किया, जो ह्यूस्टन मेथोडिस्ट में टी.टी. एंड डब्ल्यू.एफ. चाओ सेंटर फॉर ब्रेन के निदेशक हैं।
वोंग और उनकी टीम ने पाया कि मोटे व्यक्तियों की चर्बी से निकलने वाले वेसिकल्स के लिपिड (वसा अणु) सामान्य लोगों की तुलना में भिन्न होते हैं। इन वसा अणुओं का यही फर्क यह तय करता है कि एमिलॉयड-बी प्रोटीन कितनी तेजी से एकत्र होकर मस्तिष्क में हानिकारक प्लाक्स बनाते हैं। अध्ययन में चूहों पर प्रयोगों के साथ मानव शरीर से प्राप्त फैट सैंपल का भी विश्लेषण किया गया।
वोंग ने कहा, “हाल के अध्ययनों से यह स्पष्ट हो गया है कि मोटापा अब अमेरिका में डिमेंशिया का सबसे बड़ा परिवर्तनीय जोखिम कारक है।” उनका मानना है कि यदि इन वेसिकल्स के बीच होने वाले संचार को रोका जाए, तो मस्तिष्क में विषैले प्रोटीन के जमाव को रोका या धीमा किया जा सकता है, जिससे अल्ज़ाइमर का खतरा कम हो सकता है।