बॉलीवुड एक्टर मीर सरवर से सीखें एक्टिंग के गुर, अभिनय में रूचि रखने वाले युवा अवश्य पढ़ें
Story by ओनिका माहेश्वरी | Published by onikamaheshwari | Date 05-08-2024
Learn the tricks of acting from Bollywood actor Mir Sarwar, youth interested in acting must read
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
बॉलीवुड फिल्म लैला मजनू, एक रोमेंटिक फिल्म है जिसमें 2018 में शांतिपूर्ण घाटी की पृष्ठभूमि में कश्मीरी पात्रों को चित्रित किया गया था, शुक्रवार को श्रीनगर के आईनॉक्स थिएटर में इसे फिर से बड़े परदे पर दर्शकों के लिए लगाया गया और ये शो का पहले दिन हाउसफुल रहा. 'लैला मजनू' केअभिनेता मीर सरवर से हमारी संवाददाता यास्मीन खान ने खास बातचीत की और पूछा कि कश्मीर के युवा में सिनेमा और एक्टिंग को लेकर कितनी रुचि है, बॉलीवुड अभिनेता मीर सरवरको क्या महसूस हुआ ?
बॉलीवुड अभिनेता मीर सरवर ने कश्मीरी बच्चों को सीखाएं एक्टिंग के गुर
यहां मुझे युवाओं में काफी ऊर्जा और उत्साह देखने को मिल रहा है, बहुत से कश्मीरी युवा फिल्म में एक्टिंग करने की भी रुचि रखते हैं. यहां युवाओं मुझे टेलेंट भी नजर आ रहा है. यहां सभी काफी सुंदर हैं और सभी लड़के हीरो और सभी लड़कियां हीरोइन लगती हैं लेकिन यहां के युवाओं बीएस थोड़े सब्र की कमी लगती है. उन्हें ध्यान देना है डॉयलोग डेलिवरी पर, उनकी आवाज़ पर. जब कोई एक्टिंग में जाता है तो केवल गुड़ लुक्स ही नहीं बाजकी चीज़ें भी होती है जिनपर उन्हें ध्यान देने की जरुरत है जैसे जब मैं पहले बोलता था बहुत फ़ास्ट था मुझे लगता था मेने शी बोलै लेकिन फेर मेने अपनी आवाज़ पर काम किया अपनी बोलने की स्पीड को भी मैनेज किया.
तो सबसे पहले आपको अपनी खामी पर ध्यान देना जजरुरी है उस्तादों से सीखना जरूरी है. हमारे धर्म में कहते हैं कि अगर बच्चे से भी सीखना पड़े तो सीखों शर्म न करो नहीं तो ज़िंदगी भर वो कमी आपमें रहेगी. तो हमे अपने हुनर पर पहले काम करना जरूरी है. तो आपको मूलतः अपने आप पर ज्यादा काम करना है और जितना अच्छा प्रोडक्ट आप बनेगें उतनी ही आपकी डिमांड में मार्किट में होगी.
माईने रखता है कि अपने एक्टिंग के बारे में कितनी किताबें पढ़ी हैं, कितना साहित्य पढ़ा है, अंत में कहानियां तो आखिरकार साहित्य से ही आतें हैं और एक्टिंग की स्किल पर काम करना भी साथ- साथ जरूरी है.
आप फिल्म में जिस भी किरदार को परफॉर्म कर रहे हो, सच्चे तभी लगोगे जब अपने उसे जीया हो या पढ़ा हो. नार्मल बॉलीबुड की फिल्मों में शायद आपको स्पेशल पात्र काम मिलेंगें लेकिन अगर आप ईरानियन, ग्रेनच और कोरियन मूवीस देखोगे, किताबें पढोगे, नाटक पढोगे तो आपको ऐसे खास किरदारों के बारें में भी जान पाओगे जो बाद में आपकी इमोशनल यद् में कहें न खाएं बीएस जाएगा और जब आपको किरदार निभाने की जरुरत पड़ेगी तो आप उससे संबंध बना सकते हो वह से हिंट और क्लू आपको मिलेगा.
आप खुद तो वहां रहोगे लेकिन आपको साथ में एक रेफरेंस पॉइंट भी मिलेगा. तो पढ़ना बड़ा जरूरी है और इसमें भाव है, रास हैं, नो रस हैं. कितने लोगों को उन नो रसों के बारे में पता है कितने लोग उसपर काम करते हैं. कोनसा भाव कोनसे सीन में काम आएगा. तो ये बड़ा जरूरी है, स्पीच बड़ी जरूरी है.
यही मेरे स्पेश्ल सलाह सबको होगी कि एक्टिंग सिर्फ कैमरे के सामने डायलॉग बोलना नहीं बल्कि उसको फील करना है. उसको समझना है और जब भी आप फ्री हो इन पिंट पर काम करना होमवर्क करना जरूरी है.
कश्मीर में हुआ सिनेमा रिवाइव
बड़ी बात ये है कि कश्मीर में पहली बार ऐसा हुआ है कि सिनेमा रिवाइव हुआ है और सिनेमा रिवाइव होने के बाद किसी मूवी की टिकट्स इस कदर बिकी कि शो हाउसफुल हो गया. अब कश्मीर में अगर सिनेमा की हिस्ट्री की बात करें तो 90 के दशक में जो संघर्ष रहा था उसमें कई सारे सिनेमाहॉल श्रीनगर में जो थे, उनको जला दिया गया था और काफी लम्बे वक़्त के मॉल्स को रिवाइव करने की कोशिश हुई तो ये सिनेमा जो कि आइनॉक्स है यहां पर एक-एक करके मूवीज दिखाना शुरू किया गया.
6 साल बाद श्रीनगर में 'लैला मजनू' हाउसफुल हुई
काफी अर्जीयों के बाद 'लैला मजनू' फिल्म के निर्देशक साजिद अली की सहमती और सहयोग के साथ श्रीनगर में इस फिल्म की स्क्रीनिंग से कश्मीर के युवा आनंद में है और शो हॉउसफुल होना इस बात का भी सबूत है कि अब कश्मीर में सिनेमा का आगाज फेर से हो चूका है और लोग इसका खुले दिल से स्वागत कर रहे हैं.
पहले अक्सर जो कश्मीर के युवा हैं जो फिल्म को पोस्ट करना चाहते हैं या बॉलीवुड में इंटरेस्टेड है. मुंबई जाते थे अब उन्हें बॉम्बे जाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अब श्रीनगर में ही सिनेमा कल्चर वापस रिवाइव हो गया है.