अर्सला खान/नई दिल्ली
भारतीय सिनेमा ने हमेशा स्वतंत्रता संग्राम, देशभक्ति और बलिदान की कहानियों को बड़े परदे पर उतारकर हमें गौरवान्वित किया है. इन फिल्मों ने न केवल अतीत की गाथाओं को जीवंत किया बल्कि नई पीढ़ी में आज़ादी की अहमियत भी जगाई.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर बनीं 15 प्रमुख फिल्में और उनके ऐतिहासिक संदर्भ..
शहीद (1965)
भगत सिंह के जीवन, विचारों और बलिदान को दर्शाने वाली क्लासिक फिल्म.
द लीजेंड ऑफ भगत सिंह (2002)
अजय देवगन अभिनीत, भगत सिंह के क्रांतिकारी संघर्ष की विस्तृत झलक.
गांधी (1982)
महात्मा गांधी के जीवन और अहिंसात्मक आंदोलन की अंतरराष्ट्रीय सराहना पाने वाली ऑस्कर विजेता फिल्म.
मंगल पांडे: द राइजिंग (2005)
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पांडे की वीरता पर आधारित.
रंग दे बसंती (2006)
युवाओं को क्रांतिकारियों के विचारों से जोड़ने वाली और बदलाव के लिए प्रेरित करने वाली कहानी.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो (2004)
नेताजी और आज़ाद हिंद फौज के संघर्ष पर केंद्रित.
कितने पास कितने दूर (1955)
विभाजन और स्वतंत्रता के समय आम लोगों की भावनाओं और संघर्ष को दर्शाने वाली फिल्म.
स्वदेश (2004)
प्रवासी भारतीय की अपने देश की सेवा के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी पर आधारित.
लगान (2001)
ब्रिटिश शासन के अन्याय के खिलाफ गांववालों का क्रिकेट मैच के जरिए प्रतिरोध.
सरफरोश (1999)
काल्पनिक कथा, लेकिन इसमें देशभक्ति और आतंकवाद विरोधी जज़्बा स्वतंत्रता की रक्षा से जुड़ा है.
चित्तौड़ की रानी पद्मिनी (1963)
आक्रमणकारियों के खिलाफ साहस और आत्मसम्मान का प्रतीक.
क्रांति (1981)
19वीं सदी के ब्रिटिश शासनकाल में स्वतंत्रता संग्राम का रोमांचक चित्रण.
आंधी और तूफान (1958)
औपनिवेशिक दमन और किसानों के विद्रोह की पृष्ठभूमि पर आधारित.
झांसी की रानी (1953)
रानी लक्ष्मीबाई के साहस और 1857 की लड़ाई का ऐतिहासिक चित्रण।
सत्यमेव जयते (1987)
भ्रष्टाचार और सामाजिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष, जो स्वतंत्रता के असली मायने को दर्शाता है.
इन फिल्मों का महत्व
इन फिल्मों में सिर्फ युद्ध या संघर्ष ही नहीं, बल्कि आज़ादी की कीमत, विभाजन का दर्द, और देश के प्रति कर्तव्य की भावना भी गहराई से दिखाई गई है. इनके ज़रिए दर्शक न सिर्फ इतिहास को समझते हैं बल्कि यह भी महसूस करते हैं कि स्वतंत्रता एक जिम्मेदारी है, जिसे हर पीढ़ी को निभाना होगा.