अर्सला खान/नई दिल्ली
भारत की स्वर कोकिला और बहुमुखी गायिका आशा भोसले आज 92 वर्ष की हो गईं. सात दशक से अधिक का सफर, 12,000 से ज्यादा गीत, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड और दुनिया के हर कोने में फैला प्रशंसकों का प्यार आशा भोसले आज भी भारतीय संगीत की धड़कन बनी हुई हैं. उनके जन्मदिन पर देशभर के कलाकारों, नेताओं और प्रशंसकों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं.
बचपन से संगीत में गहरी रुचि
आशा भोसले का जन्म 8 सितम्बर 1933 को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ. पिता दीनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और रंगमंच अभिनेता थे. बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया और परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई. महज 10 साल की उम्र में उन्होंने फिल्मों में गाना शुरू कर दिया. इस उम्र से ही उनकी गायकी में मेहनत और संघर्ष की छाप नजर आती है.
गृहस्थी और रियाज़ साथ-साथ
आशा भोसले का जीवन आसान नहीं रहा. उन्होंने 16 साल की उम्र में गायक गणपतराव भोसले से विवाह किया और उस समय कई उतार-चढ़ाव देखे। घर-गृहस्थी के बीच भी उन्होंने संगीत को कभी नहीं छोड़ा. उनकी यही जिजीविषा उन्हें लाखों लोगों की प्रेरणा बनाती है.
अनसुना किस्सा: ‘छोड़ दो आंचल’
फिल्म ‘पेयिंग गेस्ट’ (1957) का मशहूर गीत ‘छोड़ दो आंचल’ आशा भोसले की गायकी में मासूमियत और चंचलता का बेहतरीन उदाहरण है. आशा भोसले ने बताया था कि एस.डी. बर्मन ने उन्हें यह गाना रिकॉर्ड करने से पहले कहा – “सोचो कोई तुम्हारा आँचल खींच रहा है”. तभी वह गाने का मूड पकड़ पाईं.यही छोटी-छोटी हिदायतें उनके गीतों में जान डाल देती हैं.
भाषाओं और शैलियों में महारथ
आशा भोसले ने हिंदी के साथ-साथ मराठी, गुजराती, बंगाली, तमिल, मलयालम, पंजाबी और अंग्रेज़ी तक में गाया. उनकी बहुमुखी प्रतिभा का अंदाज़ा इसी से लगता है कि उन्होंने ग़ज़ल, कव्वाली, पॉप, रॉक, लोकगीत, भजन – हर शैली में अपनी अलग छाप छोड़ी। वह भारतीय सिनेमा की पहली गायिका थीं, जिन्होंने पश्चिमी धुनों को भारतीय गीतों में बेझिझक अपनाया.
दोबारा जन्म मिले तो डॉक्टर बनना चाहूंगी
आशा भोसले ने कई बार कहा कि अगर उन्हें दोबारा जन्म मिले तो वह डॉक्टर बनना चाहेंगी. उनका मानना है कि “गायकी तो ईश्वर का आशीर्वाद है, लेकिन डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करने का भी अपना आनंद होता है.” हाल ही में उनकी पोती ज़नाई ने भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद सिराज को राखी बांधी, जिससे सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई.
‘मेरा कुछ सामान’ – जीवन का गीत
1987 की फ़िल्म ‘इजाज़त’ का गाना ‘मेरा कुछ सामान’ आशा भोसले के करियर का ही नहीं, उनके जीवन का भी खास गीत माना जाता है. गुलज़ार के लिखे और आर.डी. बर्मन के संगीतबद्ध इस गाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. आशा भोसले कहती हैं, “माइक्रोफ़ोन के सामने आते ही हर दर्द मिट जाता है, बस गाना रह जाता है.
संगीत के प्रति उनका जुनून
आज 92 की उम्र में भी आशा भोसले रोज़ाना रियाज़ करती हैं. हाल के एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मैं अभी भी गाना सीख रही हूं, बहुत कुछ बाकी है, समय थोड़ा है लेकिन उत्साह बहुत है.” यही जोश उन्हें नई पीढ़ी के कलाकारों के लिए आदर्श बनाता है.
रिकॉर्ड और सम्मान
आशा भोसले गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने वाली गायिका के रूप में दर्ज हैं. उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, पद्म विभूषण समेत अनेक पुरस्कार मिले. उन्होंने न केवल आर.डी. बर्मन के साथ अमर धुनें बनाईं बल्कि ओ.पी. नैय्यर, एस.डी. बर्मन और खय्याम जैसे संगीतकारों की पसंदीदा आवाज़ बनीं.
देशभर से शुभकामनाएं
उनके 92वें जन्मदिन पर नेताओं, फिल्मी हस्तियों और आम प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं दीं। संगीत जगत के दिग्गजों का कहना है कि आशा भोसले ने भारतीय संगीत को एक नई दिशा दी और इसे वैश्विक मंच पर पहुंचाया.
जीवंत दास्तां
आशा भोसले का जीवन संघर्ष, मेहनत और जुनून की जीती-जागती मिसाल है. सात दशक से ज्यादा समय में उन्होंने जो पहचान बनाई, वह पीढ़ियों तक प्रेरणा देती रहेगी. उनके जन्मदिन पर उनके अनगिनत प्रशंसक यही दुआ कर रहे हैं कि वह स्वस्थ और प्रसन्न रहें और यूं ही संगीत का जादू बिखेरती रहें.