अभिषेक बच्चन ने ‘फिल्मफेयर अवॉर्ड खरीदने’ के आरोपों पर तोड़ी चुप्पी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-10-2025
Abhishek Bachchan breaks silence on allegations of 'buying Filmfare Awards'
Abhishek Bachchan breaks silence on allegations of 'buying Filmfare Awards'

 

मुंबई 

बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर लगे इस आरोप का सख्त जवाब दिया कि उन्होंने अपना हालिया फिल्मफेयर अवॉर्ड खरीदा है। एक एक्स (X) यूज़र द्वारा किए गए इस दावे को अभिषेक ने पूरी तरह खारिज करते हुए साफ कहा कि उनकी सफलता सिर्फ “मेहनत, खून, पसीना और आँसुओं” का नतीजा है।

एक यूज़र ने आरोप लगाया था कि अभिषेक ने “अग्रेसिव पीआर (PR) कैंपेन” चलाकर अपना अवॉर्ड हासिल किया। इस पर अभिनेता ने जवाब दिया—“मैंने कभी कोई अवॉर्ड खरीदा नहीं है, न ही किसी तरह का आक्रामक पीआर किया है। मेरी सफलता सिर्फ मेहनत, खून, पसीना और आँसुओं का परिणाम है। मुझे पता है आप शायद मेरी किसी बात पर यकीन नहीं करेंगे, इसलिए सबसे बेहतर जवाब यही होगा कि मैं और ज्यादा मेहनत करूं ताकि भविष्य में मेरी उपलब्धियों पर कोई शक न करे। मैं आपको गलत साबित करूंगा — पूरे सम्मान और विनम्रता के साथ।”

बाद में जब उस यूज़र ने सफाई दी कि यह उसकी “व्यक्तिगत राय” थी और उसमें कोई दुर्भावना नहीं थी, तो अभिषेक ने उसे फटकार लगाते हुए कहा—“किसी पर यह आरोप लगाना कि वह अवॉर्ड खरीदता है या प्रासंगिक बने रहने के लिए आक्रामक पीआर करता है, यह बेहद व्यक्तिगत टिप्पणी है। यह किसी के 25 साल की मेहनत को गलत और हल्के में आंकने जैसा है। एक संपादक और पत्रकार से अधिक जिम्मेदारी की उम्मीद होती है, जो इस मामले में आपने नहीं दिखाई। फिर भी, आपने कभी-कभी मेरे काम की सराहना की है, उसके लिए धन्यवाद — मैं आगे भी ऐसा काम करूंगा जो आपको निराश न करे।”

इस घटना के बाद अभिषेक बच्चन के फैंस उनके समर्थन में उतर आए और कमेंट सेक्शन में उनकी तारीफों की बाढ़ आ गई।गौरतलब है कि अभिषेक ने हाल ही में 70वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स 2025 में अपने करियर का पहला “सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष)” अवॉर्ड जीता है। उन्होंने यह सम्मान शूजीत सरकार की फिल्म ‘आई वांट टू टॉक’ के लिए हासिल किया।

यह फिल्म अर्जुन सेन नामक एक बंगाली व्यक्ति की कहानी है, जो अमेरिकी सपना पूरा करने की कोशिश में लगा होता है, लेकिन जब उसे पता चलता है कि उसके पास जीने के लिए सिर्फ 100 दिन बचे हैं, तो वह अपनी सात साल की बेटी से फिर से जुड़ने की भावनात्मक यात्रा पर निकल पड़ता है।