रहमान ने न केवल भारतीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संगीत को भी नया आयाम दिया. इसलिए उनका संगीत अमर हो गया. रहमान का संगीत शास्त्रीय, पश्चिमी, लोक, इलेक्ट्रॉनिक और पारंपरिक भारतीय संगीत का एक अनूठा मिश्रण है. उनका प्रत्येक डिज़ाइन एक नवीनता है. इससे उनके संगीत को एक नया आयाम मिलता है.
एक. आर. रहमान और देशभक्ति गीतों का अनोखा रिश्ता है. ये रिश्ता पिछले कई दशकों से अटूट है. आज के स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय त्योहारों पर बजाए जाने वाले देशभक्ति गीतों की सूची में अधिकांश गाने रहमान के हैं.
'मद्रास के मोजार्ट' के नाम से मशहूर रहमान ने भारतीय संगीत उद्योग को कई ऐसे गाने दिए हैं, जिन्होंने हर किसी के दिल को छू लिया है. संगीत में देशभक्ति गीतों का विशेष स्थान है. तो आइए रहमान के देशभक्ति गीतों की इस संगीतमय यात्रा का अनुभव लें...
रहमान का संगीतमय सफर
चेन्नई के ए. एस. दिलीप कुमार नाम के एक युवा ने 23साल की उम्र में इस्लाम अपना लिया और एआर बन गए. रहमान बने अपने पिता की मृत्यु के कारण रहमान का बचपन कठिन था. लेकिन अपने पिता द्वारा दिया गया संगीत का संस्कार रहमान के दिल में गहराई तक बसा हुआ था.
उन्होंने कम उम्र में ही खुद को संगीत के क्षेत्र में समर्पित कर दिया. पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का अध्ययन करने के लिए उन्होंने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ़ म्यूज़िक में दाखिला लिया. भारत लौटने के बाद, उन्होंने विज्ञापन जिंगल और वृत्तचित्रों के लिए संगीत रचना शुरू की और यहीं से उनके संगीत करियर की शुरुआत हुई.
रहमान के संगीत करियर की शुरुआत मणिरत्नम द्वारा निर्देशित फिल्म 'रोजा' (1992) से हुई. पहली ही फिल्म के संगीत ने रहमान को पहला राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया. इसके बाद 'बॉम्बे', 'दिल से' से लेकर 'लगान' और 'स्लम डॉग मिलियनेयर' जैसी कई फिल्मों ने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उन्होंने 'स्लम डॉग मिलियनेयर' के लिए दो ऑस्कर भी जीते.
रहमान और देशभक्ति संगीत
रहमान के देशभक्ति गीत भारतीयों के सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा बन गए हैं. ये गाने राष्ट्रीय त्योहारों, खेल आयोजनों और कई अन्य अवसरों पर बजाए जाते हैं. रहमान के संगीत ने विविधता भरे भारत को एक साथ लाने का काम किया है.
उनके गीतों ने देशवासियों के दिलों में एकता और देशभक्ति की भावना पैदा की. उनके संगीत ने विश्व स्तर पर भारतीयता की पहचान को और अधिक प्रमुख बनाया. रहमान के गाने समय के साथ फीके नहीं पड़ते. इसके विपरीत, जैसे-जैसे समय बीतता है ये गाने ताज़ा होते जाते हैं. ये रहमान के कुछ लोकप्रिय देशभक्ति गीत हैं जो लगभग तीन दशकों से भारतीयों के दिलों को छू रहे हैं...
माँ तुझे सलाम (1997):
एल्बम 'वंदे मातरम' भारत की आजादी की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए बनाया गया था और 'मान तुझे सलाम' गाना इसके सबसे लोकप्रिय गानों में से एक बन गया. यह गाना देशभक्ति की प्रबल भावना को व्यक्त करता है और रहमान के संगीत ने भी भारतीयों के दिलों में घर बना लिया है.
वास्तव में यह एल्बम कैसे बना इसकी कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है. यह 1990का दशक था. भारत की वित्तीय प्रणाली नए अवसरों की तलाश में थी और विज्ञापन क्षेत्र में भारत बाला नाम लोकप्रिय था. लेकिन उनके पिता, जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे,
चाहते थे कि उनका बेटा देश के लिए कुछ करे. इस इच्छा को पूरा करने के लिए भरत बाला ने अपने दोस्त ए. आर. रहमान ने सुझाव दिया कि 'आइए कुछ अलग करें' और एक शानदार यात्रा शुरू हुई.
उनका उद्देश्य सिर्फ एक गाना बनाना नहीं था, बल्कि वह एक ऐसा युवा गान बनाना चाहते थे जो भारतीय युवाओं के दिलों को छू जाए. 'मान तुझे सलाम' गाना गीतकार मेहबूब ने लिखा था, जो देशभक्ति का प्रतीक बन गया. 'यहां वहां सारा जहां देख लिया' गाना एक एनआरआई की नजर से भारत की महिमा का वर्णन करता है.
1997 में, स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पहले, एल्बम जारी किया गया था. वह साल भारत की आज़ादी की स्वर्ण जयंती मना रहा था और यह एल्बम बहुत हिट हुआ. एक सप्ताह में लगभग 500,000कैसेट बेचे गए, जिससे एल्बम रिकॉर्ड-तोड़ सफल रहा. नए भारत की यह नई धुन पूरे भारतवासी को मंत्रमुग्ध कर रही थी.
एल्बम 'मां तुझे सलाम' का देशभक्ति गीत 'वंदे मातरम' और रहमान की प्रस्तुति भारत की विविधता में एकता का प्रमाण है. यह एक सदाबहार देशभक्ति गीत है. जो आज भी किसी भी देशभक्तिपूर्ण कार्यक्रम में हर किसी की जुबान पर अपने आप गुनगुना उठता है.
भारत हमको जान से प्यारा है (1992):
फिल्म 'रोजा' का यह गाना देशभक्ति की भावना का एक बेहतरीन उदाहरण है. कश्मीर की पृष्ठभूमि पर आधारित यह गाना भारतीयों के लिए बेहद अहम हो गया है. यह एक ऐसा गाना है जो भारतीय विविधता को एक कर देगा. पी. के. रहमान के भावपूर्ण संगीत से लेकर मिश्रा के खूबसूरत शब्द इस गाने को अविस्मरणीय बनाते हैं.
ये जो देश है तेरा (2004):
फिल्म 'स्वदेश' का यह गाना अपनी मिट्टी से हमारे रिश्ते को उजागर करता है. रहमान ने विदेश में रहने और अपनी मिट्टी को याद करने की इस भावना को अपने संगीत के माध्यम से बखूबी व्यक्त किया है. यह गीत न केवल देशभक्ति के बारे में है, बल्कि हमारी जड़ों से रिश्ते के बारे में भी है. रहमान ने इस गाने में देश शब्द को मातृत्व दिया है.
रहमान का संगीत हमेशा फिल्म की कहानी को पूरक बनाता है. वह सीन के हिसाब से म्यूजिक तैयार करते हैं, ताकि गाना और सीन एक-दूसरे में मिल जाएं. 'स्वदेस' जैसी फिल्मों में उन्होंने कहानी और संगीत का बहुत अच्छा मिश्रण किया है.
रहमान के संगीत में एक खास आत्मीयता है, जो उनके गीतों को और अधिक सार्थक बनाती है. जब वे कोई गीत बनाते हैं, तो वे केवल धुन नहीं बनाते, वे गीत की भावना को आवाज देते हैं. 'मान तुझे सलाम' या 'ये जो देश है तेरा' जैसे गानों में हम इस अपनेपन को साफ तौर पर महसूस कर सकते हैं. इस गाने में रहमान का शहनाई का इस्तेमाल देश की हताशा को और उजागर करता है.
फिल्म 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह' के लिए रहमान का संगीत देशभक्ति संगीत की उत्कृष्ट कृति कहा जा सकता है. इस फिल्म का हर गाना आपके अंदर देशभक्ति जगा देता है.
मेरा रंग दे बसंती चोला (2002):
यह गाना फिल्म 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह' का है. इस गाने को सोनू निगम, मनमोहन वारिस ने गाया है. एक. आर. रहमान ने इस गाने को कंपोज किया है. रहमान ने हर देशवासी की भावना का सटीक अनुमान लगाते हुए यह गाना बनाया है. इस गाने का म्यूजिक भारतीयों के दिलों को छू रहा है.
देस मेरे (2002):
सुखविंदर सिंह की आवाज से सजे और समीर के लिखे इस गाने में रहमान ने अपना संगीत डालकर इस गाने में चार चांद लगा दिए हैं. संगीत में वीर रस और जोश का सही मिश्रण आज भी श्रोता को स्वतंत्रता संग्राम के हर संघर्ष से अवगत कराता है.
सरफरोशी की तमन्ना (2002):
इस गाने में रहमान के संगीत का अनोखा जादू महसूस किया जा सकता है. यह गीत दो रसों शान्तरस और विररस में निबद्ध है. इस गाने के हर सीन के साथ गाने का संगीत बदलता है, जिससे गाना जीवंत हो जाता है.
रंग दे बसंती (2006):
दलेर मेहंदी द्वारा गाया गया यह भांगड़ा-फ्यूजन गाना रिलीज के समय ही लोकप्रिय हो गया था और आज भी काफी लोकप्रिय है. गाने में बताया गया कि कैसे पांच तत्व मिलकर हर भारतीय में देशभक्ति जगाते हैं. इसमें देशभक्ति की भावना थी, लेकिन रहमान के संगीत ने पंजाबी लोक संगीत को कुछ और ही समाहित कर दिया. इस गीत में भारतीय समाज में पाई जाने वाली सांस्कृतिक विविधता को सुना जा सकता है.
जय हो (2008):
यह गाना फिल्म 'स्लम डॉग मिलेनियर' का है. इस गाने के लिए रहमान को ऑस्कर मिला था. रहमान ने इस गाने में विभिन्न वाद्ययंत्रों का बेहतरीन इस्तेमाल किया है. यह भारतीय तार वाद्ययंत्रों (संतूर, तबला) को पश्चिमी वाद्ययंत्रों (इलेक्ट्रॉनिक सिंथेसाइज़र, ड्रम) के साथ जोड़ता है. ये गाना एनर्जी से भरपूर है.
ड्रम और तबला ताल का संयोजन गाने में एक आकर्षक लय पैदा करता है. इसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत की झलक है, लेकिन इसे पश्चिमी परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया है.
कदम कदम (2004):
यह गाना श्याम बेनेगल की फिल्म 'बोस: द फॉरगॉटन हीरो' का है. यह फिल्म नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर आधारित है और यह गीत भारत के स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण भावनाओं को दर्शाता है. ये गाना आजाद हिंद सेना का गाना है. लेकिन इस कविता के लिए रहमान का संगीत अद्भुत है.
मंगल मंगल (2005):
यह गाना फिल्म 'मंगल पांडे: द राइजिंग' का है. गाने को जावेद अख्तर ने लिखा है. एक. आर. देशभक्ति और क्रांतिकारी भावना पैदा करने के लिए रहमान ने इस गाने में तबला, ढोल और शहनाई जैसे भारतीय वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल किया है. यह गीत मंगल पांडे की वीरता, उनके क्रांतिकारी विचारों की प्रेरणा और स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान के इर्द-गिर्द घूमता है.
आज़ादी (2004):
श्याम बेनेगल की फिल्म "बोस: द फॉरगॉटन हीरो" का यह गाना. इस गाने को जावेद अख्तर ने लिखा है. आज़ादी गीत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीक के रूप में भी खड़ा है. यह गाना ए. आर. इसे रहमान ने खुद गाया है. उनकी आवाज़ में ईमानदारी और भावुकता है.
देश की मिट्टी (2004):
जावेद अख्तर द्वारा लिखित फिल्म "बोस: द फॉरगॉटन हीरो" के इस गाने की धुन बेहद भावुक और नाजुक है. रहमान ने इस गाने की धुन में सादगी तो डाली है, लेकिन साथ ही यह दिल को छूने वाली है. गाने की धुन भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित है, जो गाने को पारंपरिक एहसास देती है. गीत में वाद्ययंत्रों का प्रयोग सूक्ष्म एवं विचारपूर्ण है. बांसुरी, सारंगी और तार वाद्ययंत्रों की धुन गीत में एक शांत और गहन वातावरण बनाती है.
अल मैड (2005):
यह फिल्म मंगल पांडे: द राइजिंग का एक सूफी गाना है. इस गाने को जावेद अख्तर ने लिखा है. गाने को कैलाश खेर, एआर रहमान, मुर्तजा और कादिर ने गाया है. 'अल मदा' गाना एक तरह से मंगल पांडे की क्रांतिकारी प्रवृत्ति और उनके धर्म की आध्यात्मिकता का प्रतीक है.
'अल-मदत'एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है 'मदद' या 'सहायता'. गाने में मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में मदद के लिए भगवान से प्रार्थना की है. एक. आर. रहमान का संगीत और जावेद अख्तर के बोल मिलकर गाने को एक अनोखी आध्यात्मिक ऊंचाई पर ले जाते हैं.