हैदराबाद
मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) के स्कूल ऑफ़ एजुकेशन को एशिया के सबसे बड़े शिक्षा विद्यालयों में से एक बताते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने कहा कि यहां से उत्तीर्ण छात्र देश और विदेश में सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दे रहे हैं। वे “मेरी सफलता में उर्दू विश्वविद्यालय की भूमिका” विषय पर आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन डीन एलुमनी अफेयर्स, MANUU और MANUU एलुमनी एसोसिएशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
कुलपति ने MANUU एलुमनी एसोसिएशन द्वारा चलाए जा रहे “विज़िट उर्दू यूनिवर्सिटी” जागरूकता अभियान की सराहना की। उन्होंने बताया कि इस पहल के तहत हर सप्ताह किसी न किसी स्कूल या कॉलेज के छात्रों को विश्वविद्यालय का अवलोकन भ्रमण कराया जाता है, जिससे विद्यार्थियों को भविष्य की शैक्षणिक संभावनाओं से परिचित होने का अवसर मिलता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मोहम्मद लतीफ़ ख़ान, चेयरमैन, एमएस एजुकेशन अकादमी, ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी अकादमी द्वारा संचालित 100 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों में उर्दू को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि एमएस एजुकेशन अकादमी न केवल उर्दू के महत्व को समझती है, बल्कि उसके प्रचार-प्रसार के लिए ठोस कदम भी उठा रही है। उन्होंने MANUU को अपना “सपना साकार होने” जैसा बताया और कहा कि यह विश्वविद्यालय उसी सोच के अनुरूप कार्य कर रहा है, जिसके तहत वे एक शैक्षणिक संस्था स्थापित करना चाहते थे। उनके अनुसार, MANUU का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से समाज के वंचित वर्गों को सशक्त बनाना है।
प्रो. सैयद नजमुल हसन, समन्वयक, डीन एलुमनी अफेयर्स, ने स्वागत भाषण में संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. मोहम्मद मुस्तफ़ा अली सरवरी, संगोष्ठी समन्वयक, ने किया। इस अवसर पर ऐजाज़ अली क़ुरैशी, अध्यक्ष, MANUU एलुमनी एसोसिएशन ने भी अपने विचार साझा किए।
संगोष्ठी के दौरान MANUU के पूर्व छात्रों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और विश्वविद्यालय की शैक्षणिक भूमिका व उनके व्यक्तिगत विकास में उसके योगदान पर प्रकाश डाला।






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