आजादी के वक्त थे देश में सिर्फ 27 विश्वविद्यालय, आज एक हजार से ज्यादा

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 24-09-2022
स्पेशल रिपोर्टः आजादी के वक्त थे देश में सिर्फ 27 विश्वविद्यालय, आज एक हजार से ज्यादा
स्पेशल रिपोर्टः आजादी के वक्त थे देश में सिर्फ 27 विश्वविद्यालय, आज एक हजार से ज्यादा

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

देश में उच्च शिक्षा की स्थिति को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं, लेकिन सचाई यही है कि आजादी के वक्त से लेकर आज तक देश में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की संख्या में अपार वृद्धि हुई है. बेशक इसमें गुणवत्ता के साथ और अधिक लंबे सफर को तय करने की दरकार है, पर हमें यह मानने से गुरेज नहीं होना चाहिए

लेकिन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पिछले कुछ समय में देश का प्रदर्शन बेहतर हो रहा है. केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015-16 से 2019-20 तक छात्रों के नामांकन में 11.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

इस अवधि में उच्च शिक्षा में छात्राओं के दाखिले में 18.2 फीसद की बढ़ोतरी हुई और 2019-20 में उच्च शिक्षा में जीईआर 27.1 प्रतिशत रहा है.

हालांकि, सरकार का दावा है कि लड़कियों की शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण पर सरकार का निरंतर ध्यान रहा है और उच्च शिक्षा में महिलाओं, एससी और एसटी आबादी की बढ़ती भागीदारी से अच्छी तरह से दिखने लगी है.

करीब दो साल पहले उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वे रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च शिक्षा में कुल नामांकन 2019-20 में 3.85 करोड़ रहा है. 2018-19 में यह 3.74 करोड़ था. इसमें 11.36 लाख (3.04 प्रतिशत) की बढ़ोतरी दर्ज की गई. 2014-15 में कुल नामांकन 3.42 करोड़ रहा था.

सकल नामांकन दर (जीईआर), 2019-20 में उच्च शिक्षा में नामांकित पात्र आयु वर्गों के छात्रों का प्रतिशत 27.1 प्रतिशत था. 2018-19 में यह 26.3 प्रतिशत और 2014-15 में 24.3 प्रतिशत था.

उच्च शिक्षा में लैंगिक समानता सूचकांक (जीपीआई) 2018-19 में 1.00 के मुकाबले 2019-20 में 1.01 रहा. यह पात्र आयु समूह में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा में सापेक्ष पहुंच में सुधार के संकेत हैं.

2019-20 में उच्च शिक्षा में छात्र शिक्षक अनुपात 26 है.

2019-20 में विश्वविद्यालयों की संख्या 1,043 (2 प्रतिशत); कॉलेज: 42,343 (77 प्रतिशत) और स्वायत्त संस्थान 11,779 (21 प्रतिशत) थे.

देश में 3.38 करोड़ छात्रों ने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के कार्यक्रमों में नामांकन लिया. इनमें से लगभग 85 प्रतिशत छात्र (2.85 करोड़) मानविकी, विज्ञान, वाणिज्य, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, चिकित्सा विज्ञान और आईटी तथा कंप्यूटर जैसे छह प्रमुख विषयों में नामांकित थे.

पिछले पांच साल में शोधार्थियों की संख्या भी लगभग दोगुनी हो गई है. 2019-20 में पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या 2.03 लाख थी जबकि 2014-15 में यह आंकड़ा 1.17 लाख था.

देश में उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कुल संख्या 15,03,156 है, जिसमें 57.5 प्रतिशत पुरुष और 42.5 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं.

देश में आजादी के समय के मुकाबले विश्वविद्यालयों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है. आजादी के वक्त देश में सिर्फ 27 विश्वविद्यालय थे जबकि 2019-20 में यह संख्या 1043 हो गई. गौरतलब है कि देश में 2010-11 में विश्वविद्यालयों की संख्या 621 थी. यानी पिछले एक दशक मे विश्वविद्यालयों की संख्या में काफी तेज वृद्धि देश में हुई है.

इसी तरह, आजादी के ठीक बाद देश में सिर्फ 578 कॉलेज थे जो 2010-11 में बढ़कर 32974 और 2019-20 में 42343 हो गए हैं.

देश में बढ़ती आबादी और उसमें भी युवाओं की संख्या अधिक होने के मद्देनजर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है पर उनकी संख्या में विस्तार के साथ ही उनमें पढ़ाई और संसाधनों की गुणवत्ता सुधारने का काम भी साथ-साथ चलना चाहिए तभी हम ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के युग में विकाल की रफ्तार के साथ कदमताल कर पाएंगे.