रूस-यूक्रेन युद्धः अधर में लटका है भारतीय छात्रों का भविष्य

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 06-03-2022
यूक्रेन से अधिकांश भारतीय छात्र स्वदेश लौट चुके हैं
यूक्रेन से अधिकांश भारतीय छात्र स्वदेश लौट चुके हैं

 

आवाज- द वॉयस/ एजेंसी

यूक्रेन से भारत लौट रहे छात्रों की परेशानी अभी खत्म नहीं हुई है. अधिकांश भारतीय छात्र सुरक्षित अपने घर लौट गए हैं, लेकिन उनका भविष्य अब अधर में लटक गया है. इनमें करीब 4,000छात्र ऐसे हैं जो एमबीबीएस कोर्स के अंतिम वर्ष में थे. अपने जीवन के 5साल और एमबीबीएस की पढ़ाई पर लाखों रुपये खर्च करने वाले इन छात्रों के लिए कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है.

देश में चिकित्सा शिक्षा के विशेषज्ञ और संरक्षक देशराज आडवाणी कहते हैं, “छात्रों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह कैसे पक्का होगा कि किस छात्र ने किस विश्वविद्यालय में कितने साल पढ़ाई की है और पिछले सेमेस्टर में उसका प्रदर्शन कैसा रहा.”

आडवाणी के मुताबिक, “इन छात्रों के पास आंशिक रूप से पूरी हुई अपनी पढ़ाई का ठोस अस्थायी सबूत भी नहीं है जो उन्होंने यूक्रेन में किया है.”

हालांकि इस तरह के प्राविजनल प्रूफ को वैसे भी मान्यता नहीं दी जाती है, यह कम से कम छात्रों की संतुष्टि के लिए हो सकता है, जिन्हें उम्मीद है कि जल्द ही रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध समाप्त हो जाएगा और वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए यूक्रेन वापस जा सकेंगे.


हालांकि, भले ही युद्ध जल्द ही समाप्त हो जाए, हर छात्र के लिए यूक्रेन लौटना और अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करना संभव नहीं होगा.

यूक्रेन से लौटे एक छात्र रणदीप ने कहा कि वह लुगांस्क राज्य के मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा था, लेकिन मिसाइल हमलों में उसकी यूनिवर्सिटी तबाह हो गई है. ऐसे में उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि युद्ध खत्म होने के बाद भी वह वहां अपनी पढ़ाई कैसे फिर से शुरू करेंगे.

शिक्षाविद् सी.एस. कांडपाल के अनुसार, यूक्रेन में लगभग 18,000भारतीय छात्र चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे थे, इन सभी छात्रों को (भारतीय कॉलेजों में) तत्काल प्रवेश देना संभव नहीं है.

कांडपाल का कहना है कि लगभग सभी मेडिकल कॉलेजों में सीटें पहले ही भर चुकी हैं. ऐसे में इन छात्रों के लिए तत्काल कोई व्यवस्था होना संभव नहीं दिख रहा है.

यूक्रेन से लौट रहे छात्र भी मौजूदा हालात से वाकिफ हैं. यूक्रेन के विन्नित्सा नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रही श्रेया शर्मा ने कहा कि यह एक वास्तविकता है कि भारत सरकार यहां सभी 18,000 छात्रों को समायोजित नहीं कर सकती है.