मल्टीनेशनल नेशनल कंपनी छोड़कर सरकारी प्राथमिक के शिक्षक बने मोहम्मद आफिस की टोक्यो में चर्चा

Story by  संदेश तिवारी | Published by  [email protected] | Date 04-09-2022
मल्टीनेशनल नेशनल  कंपनी छोड़कर सरकारी प्राथमिक के शिक्षक बने मोहम्मद आफिस की  टोक्यो में चर्चा
मल्टीनेशनल नेशनल कंपनी छोड़कर सरकारी प्राथमिक के शिक्षक बने मोहम्मद आफिस की टोक्यो में चर्चा

 

संदेश तिवारी/ कानुपर

ब्रिटिश कंपनी हार्वे - निकोल्स की आला नौकरी छोड़कर बाराबंकी के मुनीमपुर बर्तन निंदूरा के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बने मोहम्मद आसिफ , अपने विद्यालय को निरंतर प्रगति की राह पर पहुंचाने में लगे हैं.

आज स्थिति यह है कि प्राथमिक स्कूल में किए गए इनके कामों की ना केवल जनपद, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि जापान की राजधानी टोक्यो के कोरोयो हाई स्कूल में भी चर्चा हो रही है.
 
उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में ही बाल प्रयोगशाला स्थापित कर दिया है. इसके अलावा गलियारा व पर्यावरण प्रयोगशाला की भी स्थापना की है. अपनी प्रयोग धर्मी कोशिशों की बदौलत वह प्राथमिक विद्यालय में लगातार नया कुछ न कुछ जोड़ रहे हैं.
 
मोहम्मद आसिफ के अनुसार,पुस्तकीय ज्ञान के इतर क्रियात्मक कार्य के जरिए बच्चों का सर्वांगीण विकासकिया जा सकता है. इससे बच्चे जल्दी सीखते हैं.
उन्होंने बताया कि जनवरी 2015 मई में उनका चयन प्रशिक्षु शिक्षक के रूप में बेसिक शिक्षा विभाग में हुआ था.
 
विद्यालय मई मेंकार्य करने पर बच्चों एवं अभिभावकों को जानने का अवसर मिला. उसके बाद बच्चांे में अंतर्निहित अनुसन्धान , अन्वेषण , खोज , जिज्ञासा,  विवेचना एवं विचारों का संचार करने में जुट गए
.
शिक्षण कार्य के दौरान बच्चों में छुपी प्रतिभाओं को खोजने व उनको विकसित करे का प्रयास किया.बच्चों में रचनात्मकता , सृजनशीलता , एवं कल्पनाशीलता की क्षमताओं के विकास के लिए अपनी कार्यशैली को प्राथिमिकता दी. 
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इसके अलावा विद्यालय के बच्चांे और अभिभावकांे के विचारविमर्श किया. विद्यालय के कार्यों के अतिरिक्त पंचात , ब्लॉक , जनपद एवं प्रदेश स्तरीय विभिन्न प्रशिक्षणों व वर्कशॉप में शिक्षा का अलख जगाया.
 
शिक्षक मोहम्मद आसिफ  2015 से विद्यालय में कार्य कर रहे हैं. तब से बच्चों को उन्नयन विधिया, बाल समाचार पत्र,  फील्ड विजिट, प्रयोग विधि, साक्षात्कार , घटनाओं , सांख्यिकीय विधियों व प्रस्तुतीकरण के माध्यम से  प्रेरित करने में लगे हैं.
 
2020 -21 में जापान सरकार की शिक्षा विभाग ने यूनेस्को जापान के माध्यम से इनके कार्यों की न केवल समीक्षा की,सराहा भी. यही नहीं मोहम्मद आसिफ को जापान के टोक्यो के कोरोयो हाई स्कूल में पढ़ाने का न्योता भी दिया गया.
 
विप्रो फाउंडेशन,  सेंटर फॉर एनवायरनमेंट व ब्रिटिश काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा भी उन्हें उनके कार्यों के लिए सम्मानित किया जा चुका है.मोहम्मद आसिफ कहते हैं कि उनकी हर संभव कोशिश रहती है कि वह प्रतिदिन बच्चों को कुछ ना कुछ नया बताएं.
 
इस के लिए वह अभिभावकों को भी अपने कार्य में शामिल करते हैं. वह उन्हें शिक्षा का महत्व बताते हैं. उनका मानना है कि बच्चों को विषय बोझिल नहीं लगना चाहिए,इसलिए पारंपरिक तरीके अपनाने के साथ ही विषयों की गतिविधियों के माध्यम से रोचक,आनंदपूर्व व स्वस्थ बनाना बेहद जरूरी है. 
 
इससे बच्चों में ऊबन नहीं आती. वह बच्चांे के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए प्रेरक प्रसंग,  कहानी , शारिरिक अभ्यास व खेलकूद का भी सहारा लेते हैं. 
 
उन्होंने सह शैक्षिक गतिविधियों को पुस्तक केसंदर्भों से जोड़ दिया है. बच्चे विद्यालय परिसर में ही कंपोस्टिंग के प्रयोग समझने लगे हैं. जल संरक्षण के बारे में बताया जाता है.
 
वर्षा जल संचयन विधि को मॉडल से समझ विकसित कराई जाती है. स्कूल केबच्चे जैविक व अजैविक कचरे की पहचान करना जान गए हैं. वह समाज के दूसरे तबकों को भी प्रेरित करते हैं .
 
स्कूल के बच्चों को  पर्यावरण प्रहरी बनाया गया है, जिससे वह गांव के लोगों को पर्यावरण सरंक्षण के लिए  प्रेरित करते हैं.कोरोना काल  में विभिन्न संसाधनों से उन्होंने शिक्षा की अलख जगाए रखी. 
 
यूट्यूब पर उनका चौनल एजुकेशन फोरम व आसिफ सर की क्लास चलाई गई.  व्हाट्सएप पर ई लर्निंग मटेरियल आज भी प्रतिदिन बच्चों के समूह में प्रेषित किए जाते हैं. शिक्षा विभाग में भी उन्होंने कांसेप्ट की समझ के विकास के लिए कार्टून के माध्यम से वीडियो क्लिप भेजे हैं.
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वर्ष 2021 में विप्रो फाउंडेशन व सी ई ई के संयुक्त तत्वाधान में विद्यालय की टीम को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया.इस टीम को 50000 रूपये का इनाम व बेंगलुरु की यात्रा का  पुरस्कार मिला.
 
ब्रिटिश कौंसिल ऑफ इंडिया नई दिल्ली द्वारा उन्हें राज्य मास्टर ट्रेनर के रूप में  भी चुना गया चुका है. भारत सरकार द्वारा आयोजित 2020 में निष्ठा ट्रेनिंग में भी उन्होंने रिसोर्स पर्सन के रूप में सेवा प्रदान की है. वर्तमान में निपुण भारत मिशन में गणित के टास्क फोर्स के सदस्य हैं.
 
 भविष्य की योजनाओं के बारे में मोहम्मद आसिफ ने कहा कि हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड लखनऊ  के सहयोग से विद्यालय अवसरंचना में विकास करना,   लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधीय एवं सुगंधित पौध संस्थान के सौजन्य से विद्यालय में एक औषधि बगीचा खोलकर लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक 
करने एवं लखनऊ के रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की सहायता से वाटर लेब की स्थापना करके पानी की क्वालिटी को टेस्ट करने का काम कर रहे हैं.
 
इसके लिए विद्यालय की पर्यावरण  टीम वहां का भ्रमण भी कर चुकी है.
 
विद्यालय की गतिविधियां एक नजर में-----
 
-  इस विद्यालय में नवीन गतिविधियों जैसे खेल खेल में, गतिविधि आधारित शिक्षा , शिक्षा में  तकनीकी का समावेश , कंप्यूटर , मॉनिटर , मोबाइल्स फोंस,  , रोले प्ले  आदि के प्रयोग से छात्रों की रूचि बढ़ी है. 
 
-  विद्यालय में इन विधियों के साथ  अन्य सहायक गतिविधि  जैसे आर्ट तथा क्राफ्ट , बालसभा , कहानी तथा चित्रण आदि द्वारा छात्रों के विषयगत ज्ञान के साथ उनकी रचनात्मकता , कल्पनाशीलता तथा सरजानात्मकता  को बढ़ावा मिल रहा है.
 
- इसके अतिरिक्त विकास खंड में हो रहे  नवाचार अच्छे शिक्षक , अच्छे छात्र , अच्छे विद्यालय , अच्छा समाज  प्रतिभाग के द्वारा विध्ह्यार्थियों में प्रतियोगी भावना का विकास हो रहा है.
 
-  विद्यालय के अधिकांश छात्रों तथा अभिभावकों का विद्यालय तथा शिक्षको में विश्वास तथा सहयोग के द्वारा विद्यालय प्रगति के पथ पर अग्रसर है. 
 
- प्राइमरी स्कूल आज के प्रतियोगी युग में छात्रों को एक नवीन पहचान दिलाने के लिए प्रायासरत है.
 
- विद्यालय में पाठ्यक्रम के साथ सामान्यज्ञान , नाटक , कहानी , चित्रकला ,एवं खेल गतिविधियों का आयोजन किया जाता है.
 
-  यहां सभी राष्ट्रीय पर्वो, सामजिक पर्वो एवं महापुरोषों के जयंती का आयोजन होता है. 
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नया प्रयास- बाल अखबार “हुआ सवेरा”

-   सभी बच्चों में  ईश्वर ने अन्तर्निहित अनुसन्धान , अन्वेषण , विवेचना , अनुसन्धान एवं विचार का संचार किया है. ग्रामीण परिवेश के छात्रों के लिए शिक्षक को उनमें छुपी प्रतिभाओं को खोजना एक महत्वपूर्ण कार्य है.
 
-बच्चों को केवल इन्ही प्रतिभाओं के विकास के लिए कुछ बुनियादी मदद कि जरुरत होती है. एक शिक्षक इन नवोदित सितारों और उनकी क्षमता की पहचान करने के लिए सबसे अच्छा माध्यम होता ह. 
 
-स्कूल में बाल अखबार के माध्यम से बच्चों को यहां की गतिविधियों के बारे में बताया जाता है. इसमें एक छात्र संपादक और  संवाददाताओं
 टीम है. सर्वसम्मति से अखबार का नाम “ हुआ सवेरा” रख गया.
 
- बाल अखबार शून्य निवेश के साथ शुरू हुआ. इसमें बहुत ही नगण्य व्यक्तिगत योगदान के साथ हमने रंगीन पेन्सिल्स , चार्ट पेपर्स, स्टेंसिल्स, मार्कर , स्केच एवं पुराने अखबारों का प्रयोग किया.
 
-आरम्भ मंे वर्तमान विषयों , दिन प्रतिदिन की गतिविधियों , राष्ट्रीय पर्वों , सामाजिक उत्सवों , मेलों को विषय बनाया गया. बाद में राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , व राज्यों के चुनाव की गतिविधियों पर भी अखबार में चर्चा की गई.
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कक्षा शिक्षण अनोपचारिक साधनों का प्रयोग 
 
कक्षा में कठपुतली का प्रयोग शिक्षण कार्य के लिए किया जाता है. इसके अलावा कला के सभी रूपों जैसे साहित्य , चित्रकला , मूर्तिकला , संगीत , नाटक , नृत्य आदि का भी छात्रों को रचनात्मक  बनाने के लिए किया जाता है.