दिल्ली हाईकोर्ट: जामिया यूनिवर्सिटी से जुड़ी जमीन की बिक्री, याचिका पर नोटिस जारी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] • 3 Months ago
Bab-e-Maulana Abul Kalam Azad
Bab-e-Maulana Abul Kalam Azad

 

नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिलिया इस्लामिया के एक पूर्व छात्र की याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें ज़किया ज़हीर नामक तीसरे पक्ष को जमीन की बिक्री के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने के फैसले को चुनौती दी गई है. इस जमीन पर विश्वविद्यालय को प्रथम दावा अधिकार प्राप्त है.

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने विश्वविद्यालय, केंद्र सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), जहीर और राष्ट्रपति द्वारा नामित तीन प्रोफेसरों, जो विश्वविद्यालय के विजिटर के रूप में कार्य करते हैं, से जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता हरीसुल हक, जो वर्तमान में जामिया मिडिल स्कूल में शारीरिक शिक्षा शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं और जामिया स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के निवर्तमान सचिव हैं, का आरोप है कि विश्वविद्यालय उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना भूमि की बिक्री के लिए एनओसी जारी करने का प्रयास कर रहा है. उनका दावा है कि यह कार्रवाई मनमाने और अवैध तरीके से की जा रही है, जिससे कुछ तीसरे पक्षों को फायदा हो रहा है. 

याचिका के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ने एनओसी जारी करने पर विचार करने के लिए 4 अगस्त को एक बैठक बुलाई थी. हालाँकि,  तीन नामांकित विजिटर्स ने यह कहते हुए असहमति जताई कि कार्रवाई अवैध थी. इसके अलावा, हक का तर्क है कि जब बैठक के मसौदा मिनट प्रसारित किए गए, तो विजिटर्स ने विश्वविद्यालय के साथ संवाद किया, और प्रक्रिया में विभिन्न त्रुटियों और अवैधताओं की ओर इशारा किया.

उनकी असहमति के बावजूद विश्वविद्यालय ने यह दावा करते हुए एनओसी जारी करना जारी रखा कि इसे बैठक के मिनटों में अनुमोदित किया गया था, भले ही मिनटों पर हस्ताक्षर नहीं किए गए थे. याचिका में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि जामिया मिलिया इस्लामिया के संयुक्त अरब अमीरात एलुमनी ने जमीन की खरीद के लिए धन देने और इसे विश्वविद्यालय को वापस दान करने की पेशकश की थी.

हालाँकि, विश्वविद्यालय ने इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही विजिटर्स द्वारा उठाई गई आपत्तियों का समाधान किया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि विश्वविद्यालय एनओसी जारी करने की दिशा में इस तरह से आगे बढ़ रहा है जो कानून के विपरीत है.

याचिका में बैठक के विवरण को भी चुनौती दी गई है और संबंधित भूमि पर विश्वविद्यालय के अधिकारों के आत्मसमर्पण की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की गई है. न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि विजिटर्स, जिन्हें तटस्थ पक्ष माना जाता है, ने जहीर को एनओसी देने का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि यह विश्वविद्यालय के हितों के खिलाफ है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को तय की है.